पुलिस पर फाइनेंस कंपनी के साथ मिलकर महिला के उत्पीड़न का आरोप
रुड़की। किसान यूनियन क्रांति मोर्चा के राष्टीय अध्यक्ष ने कोतवाली में पुलिस को चेतावनी दी है कि पीड़ित महिला का मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो कोतवाली में मवेशी बांध देंगे। पुलिस पर फाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों से मिलीभगत करने और महिला का उत्पीड़न करने का भी आरोप लगाया है। इस मामले को लेकर पुलिस के साथ जमकर नोकझोंक हुई।
गंगनहर कोतवाली क्षेत्र के सलेमपुर गांव निवासी एक महिला ने फाइनेंस पर कुछ साल पहले एक जेसीबी मशीन खरीदी थी। बताया गया है कि महिला करीब 40 किस्त जमा कर चुकी थी। जबकि करीब आठ किस्त अभी बाकी थी। आरोप है कि किस्त जमा नहीं करने पर फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी महिला की जेसीबी ले गए।करीब तीन माह पहले महिला ने एआरटीओ कार्यालय के बाहर अपनी जेसीबी मशीन खड़ी देखी तो गांव से कुछ ग्रामीणों को बुला लिया। महिला जेसीबी भी अपने साथ ले गई। रविवार को सिविल लाइंस कोतवाली पुलिस ने फोन करके महिला को जेसीबी मशीन कोतवाली लाने के लिए कहा। महिला ने इनकार किया तो पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने की चेतावनी दी। जिसके बाद महिला ने इसकी जानकारी किसान यूनियन क्रांति के पदाधिकारियों को दी।इस पर यूनियन के राष्घ्ट्रीय अध्यक्ष विकास सैनी किसानों को लेकर कोतवाली पहुंचे। विकास सैनी ने आरोप लगाया कि फाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों ने किसी को गुपचुप तरीके से जेसीबी बेच दी। अब इसका रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा था। उन्होंने पुलिस पर फाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाया। इस दौरान पुलिस से नोकझोंक भी हुई। वरिष्ठ उप निरीक्षक प्रदीप तोमर ने उन्हें समझाने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी।किसान नेता विकास सैनी ने पुलिस को चेतावनी दी कि यदि महिला की उत्पीड़न जारी रहा तो वह कोतवाली में मवेशी बांध देंगे। जिसकी जिम्मेदारी पुलिस की होगी। वहीं पुलिस ने बताया कि महिला की जेसीबी की किस्त जमा नहीं करने पर बैंक ने उसकी ऑनलाइन नीलामी कराई थी और यह जेसीबी मशीन गाजियाबाद निवासी फजल उर रहमान ने खरीदी थी। फजल उर रहमान ने जेसीबी एआरटीओ कार्यालय में भिजवाई थी। इस मामले में फजल उर रहमान की तरफ से पुलिस को तहरीर दी गई है। पुलिस ने इसी वजह से महिला को जेसीबी लेकर आने के लिए कहा था। पुलिस का कहना है कि यदि इस मामले में महिला ने पुलिस पर दबाव बनाने का प्रयास किया तो मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इस दौरान पुलिस ने किसी तरह से किसानों को समझा-बुझाकर वापस भेजा।