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भगोड़े विजय माल्या को प्रत्यर्पण के बाद आर्थर रोड जेल में रखे जाने की संभावना

मुंबई। विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई कर रही ब्रिटेन की अदालत ने भारतीय प्रशासन से आर्थर रोड जेल की बैरक नंबर-12 का तीन हफ्ते में वीडियो मांगा है। माल्या के बचाव पक्ष के वकीलों ने दलील दी कि मुंबई की आर्थर रोड जेल की बैरक नंबर-12 के हालात ठीक नहीं हैं, जहां उसे प्रत्यर्पण के बाद रखा जाना है। माल्या के बचाव और अभियोजन पक्ष के वकीलों ने जेल की बैरक नंबर 12 के बारे में अपने-अपने तर्क रखे। अदालत ने सुनवाई के दौरान भारतीय बैंकों के 9000 करोड़ रुपये लेकर फरार शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण के संकेत दिए हैं। मामले की अंतिम सुनवाई की तारीख 12 सितंबर को होगी। मानवाधिकारों सहित तमाम लोकतांत्रिक अधिकारों और सहूलियतों के चलते ब्रिटेन दुनियाभर के भगोड़ों की पहली पसंद बना हुआ है। अपराधों में वांछित कई भारतीयों ने भी उसे अपना ठिकाना बनाया हुआ है। ऐसे में माल्या के प्रत्यर्पण के बाद उनके आने की राह भी आसान हो सकती है। बैरक नंबर 12 में फिल्म अभिनेता संजय दत्त, महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री छगन भुजबल, शीना बोरा मर्डर केस के आरोपी पीटर मुखर्जी और 26/11 आतंकी हमले के एक मात्र जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल आमिर कसाब को बंद किया जा चुका है। फिलहाल यहां पीटर मुखर्जी बंद हैं। लंदन कोर्ट में सरकार की तरफ से दावा किया गया कि इस सेल में साफ हवा, रोशनी और आंगन की भी व्यवस्था है।

जेल में हैं ये व्यवस्थाएं  प्राकृतिक हवा और रोशनी पर माल्या के सवाल के जवाब में जेल अधिकारियों ने कहा कि हर सेल में एक खिड़की होती है, वहीं क्रॉस वेटिंलेशन के लिए सामने की दीवार पर सलाखें होती हैं। बैरक 12 में आंगन है, जिससे कैदियों को सूर्य की सीधी रोशनी मिलती है। बैरक नंबर 12 के सभी सेल सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में है। यहां सेल के अंदर और बाहर 24 घंटे सुरक्षाकर्मी पहरेदारी देते हैं। बैरक नंबर 12 में अमूमन हाई प्रोफाइल कैदियों को रखा जाता है, जिसे खतरे का सामना करना पड़ सकता है या जो दूसरों के लिए खतरा हो सकता है। वैसे बैरक की हर सेल में आमतौर पर 10 से 15 कैदियों को रखा जाता है। हालांकि, मुंबई के ऑर्थर रोड जेल की बैरक 12 जैसी स्पेशलाइज्ड सेल में एक ही कैदी को रखा जाता है, जो आमतौर पर कोई हाई प्रोफाइल व्यक्ति या खतरनाक अपराधी होता है। इस बैरक की संरचना ग्राउंड प्लस वन की है, जिसमें हर फ्लोर पर आठ सेल बने हुए हैं। सभी सेल के अंदर अलग-अलग अटैच टॉयलेट, कपड़े धोने की जगह और खुले आंगन की व्यवस्था है। आम कैदियों के सेल में भारतीय शैली के शौचालय हैं, लेकिन बैरक 12 के सेल में कमोड की व्यवस्था है। कैदियों को एक गद्दा, एक तकिया और एक बेडशीट दी जाती है। भोजन करने के लिए मेलामाइन ग्लास, एक प्लेट और दो कटोरी दी जाती हैं। जेल में मेलामाइन बर्तनों को प्राथमिकता दी जाती है, ताकि कैदी अन्य कैदियों या जेल कर्मचारियों पर हमला न करे या खुद पर भी हमला न कर सकें। कैदियों की 24 घंटे में चार बार खान-पान उपलब्ध कराया जाता है। सुबह 6 बजे से 7 बजे के बीच नाश्ता दिया जाता है, दोपहर में भोजन दिया जाता है, शाम में 4.30 बजे के करीब स्नैक्स दिया जाता है और शाम में 7 बजे रात का भोजन दिया जाता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देश के मुताबिक कैदियों का भोजन बनाया जाता है। पुरुष कैदियों को प्रति दिन 2320 से 2730 कैलोरी और महिला कैदियों को 1900 से 2830 कैलोरीयुक्त खाना दिया जाता है।

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