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शहरी विकास मंत्री के शहर ऋषिकेश में कूड़े का अंबार

ऋषिकेश। तीर्थ नगरी में दशकों पुरानी कूड़ा निस्तारण की समस्या का हल ऋषिकेश नगर निगम को करना था। लेकिन जब धनराशि का बंदोबस्त नहीं हुआ, तो बजट की गेंद शासन के पाले में डाल दी गई। शासन ने भी धनराशि की दरकार पर तेजी से एक्शन लिया। बावजूद इसके हाई एंपवार्ड कमेटी की बैठक के इंतजार में यह धनराशि निगम को जारी नहीं हो पाई है।
दिलचस्प बात यह है कि पहले नगर निगम प्रशासन ने ही खुद के खर्चे पर हजारों टन कूड़े के निस्तारण का बीड़ा उठाया था। बाकायदा, इसके लिए शासन से मंजूरी भी ली गई और इसका शासनादेश भी जारी हुआ। हैरानी यह भी है कि बजट जारी करने की मांग को लेकर कई दफा हंगामा भी हुआ। निगम से लेकर राजधानी देहरादून तक बजट का मामला पहुंचा। जबकि, यह जिक्र कहीं सामने नहीं आया कि पहले निगम ही स्वयं से धनराशि खर्च कर कूड़ा निस्तारण करने वाला था। केंद्रीय वित्त की धनराशि से निगम ने कूड़ा निस्तारण करने वाली निजी एजेंसी को लगभग एक करोड़ रुपए जारी भी किए हैं। धनराशि के अभाव में कूड़ा निस्तारण की प्रगति प्रभावित है। निस्तारण में देरी से शहर के लोग दुर्गंध और कूड़े के पहाड़ से तो परेशान हैं ही, देश-दुनिया से पहुंचने वाले सैलानी भी शहर में हरिद्वार रोड से गुजरते वक्त डंपिंग ग्राउंड के पास से मुंह पर कपड़ा रखकर गुजरने को मजबूर हैं।
क्षेत्रीय विधायक और शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का निजी आवास भी हरिद्वार रोड किनारे ही है। उनके आवास से कूड़ा डंपिंग ग्राउंड की दूरी कुछ ही मीटर पर है। मंत्री का काफिला हर रोज इसी सड़क से गुजरता है। वह चैथी बार विधायक हैं, तो संसदीय सचिव से लेकर पिछली सरकार में विधानसभा अध्यक्ष के पद पर भी आसीन रह चुके हैं। जबकि, इस बार उन्हें शहरी विकास विभाग का मंत्रालय भी मिला है। बावजूद इसके दशकों पुरानी कूड़ा निस्तारण की समस्या का हल न होना कई सवाल खड़े करता है।

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