जनसुनवाई की रस्म अदायगी के बजाय विद्युत कीमतें घटाने के उपायों पर ध्यान दें नियामक आयोगः मोर्चा
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि विद्युत नियामक आयोग प्रतिवर्ष विद्युत दरों, लाइन लॉसेस एवं अन्य मामलों को लेकर जनसुनवाई की रस्म अदायगी करता है, लेकिन विद्युत दरें व फिक्स्ड चार्जेस घटाने एवं वितरण हानियां को कम करने के मामले में कभी दिलचस्पी नहीं लेता, जिस कारण प्रतिवर्ष विद्युत दरों में बढ़ोतरी के साथ-साथ फिक्स्ड चार्जेस व अन्य दरों में बढ़ोतरी हो जाती है,जिसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ता है।
नेगी ने कहा कहा कि वर्ष 2019-20 में सरकार द्वारा 14139.31 मिलियन यूनिट्स खरीदी गई एवं उसके सापेक्ष 12538.65 मिलियन यूनिट्स बेची गई, इस प्रकार 1600. 66 मिलियन यूनिट्स यानी 160 करोड़ यूनिट्स लाइन लॉस में चली गई द्य इसी प्रकार वर्ष 2018-19 में 14083.69 मिलियन यूनिट्स खरीद के सापेक्ष 12295.20 मिलियन यूनिट्स बेची गई, इस प्रकार 1788.49 मिलियन यूनिट्स लाइन लॉस में चली गई द्य इस लाइन लॉस की चलते सरकार को प्रतिवर्ष अरबों रुपए का आर्थिक नुकसान हो रहा है। नेगी ने कहा कि अगर वितरण हानियों की बात करें तो वर्ष 2019-20 में 13.40 फीसदी तथा वर्ष 2018-19 में 14.32 फीसदी थी तथा वहीं दूसरी ओर एटी एंड सी हानियां वर्ष 2019-20 में 20.44 फ़ीसदी तथा वर्ष 2018-19 में 16.52 फ़ीसदी थी। पहले फिक्स्ड चार्जेस रुपए 60-95-165-260 था तथा वर्तमान में 60-120- 200- 300 हो गया है तथा इसी प्रकार विद्युत दर 2.80-3.75-5.15-5.90 के पश्चात वर्तमान में 2.80-4.00-5.50- 6.25 हो गई है। हैरानी की बात यह है कि उपभोक्ताओं को कैसे राहत मिले, इस मामले में नियामक आयोग ने कभी कोई कार्रवाई नहीं की और ना ही कभी स्वतः संज्ञान लेकर उपभोक्ताओं की पीड़ा दूर की। नेगी ने तंज कसते हुए कहा कि अगर विद्युत नियामक आयोग विद्युत दरें बढ़ाने के अलावा कुछ कर ही नहीं सकता है तो आयोग और उसके द्वारा की जा रही जनसुनवाई का औचित्य क्या है। पत्रकार वार्ता में दिलबाग सिंह, भीम सिंह बिष्ट, अमित जैन व मुकेश पसबोला मौजूद थे।