हरिद्वार कुंभ शाही स्नान में लाखों लोगों ने लगाई गंगा में आस्था की डुबकी
हरिद्वार। हरिद्वार कुंभ के शाही स्नान सोमवती अमावस्या पर लाखों लोगों ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। विभिन्न अखाड़ों और नागा संन्यासियों की अवधूती शान से सोमवार को हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर सनातनी आस्था का वैभव मुखर हो उठा। उमंग-उत्साह के बीच बैरागी अखाड़ों के वैराग्य का रंग और नागा संन्यासियों का आकर्षण अलग अलौकिक आध्यात्म की अनुभूति करा रहा था। अखाड़ों के स्नान के लिए हर की पैड़ी के आरक्षित होने के कारण रात्रि प्रथम प्रहर से ही ब्रह्मकुंड पर श्रृद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने लगी थी, ब्रह्ममुहूर्त में तो यह सैलाब में तब्दील हो गयी।
पहला शाही स्नान श्रीपंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि की अगुवाई में किया। इनके साथ ही श्रीपंचायती आनंद अखाड़े ने भी अपने आचार्य महामंडलेश्वर की अगुवाई में शाही स्नान किया। नागा संन्यासियों के साथ नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाह देव का शाही स्नान आकर्षण का केंद्र रहा। ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाह देव ने स्वामी कैलाशानंद गिरि के साथ शाही स्नान किया। इस मौके पर संत-महात्माओं ने गंगा पूजन कर मां गंगा से देश-दुनिया की सुख-समूद्धि और कोरोना से मुक्ति की कामना-प्रार्थना भी की। शाही स्नान के दौरान शाही जुलृस के लिए हाइवे जीरो जोन रहा, स्नान के समय किसी को भी इस पर चलने की इजाजत नहीं दी गयी। इस दौरान पूरे कुंभ मेला क्षेत्र में सुरक्षा की चाक-चैबंद व्यवस्था रही। दोपहर दो बजे तक 25 लाख 11 हजार श्रद्धालुओं ने सोमवती अमावस्या पर पुण्य की डुबकी लगा ली थी। इस दौरान किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं थी। सोमवती अमावस्या पर धर्मनगरी हरिद्वार हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड से राजा दक्ष की नगरी कनखल तक सिंदूरी आभा बिखेर रही थी। आध्यात्म और भक्ति की धारा चहुं दिशाओं को अलौकिक कर रही थी। इनके बीच संन्यासी, बैरागी और उदासीन अखाड़ों की राजसी शान-शाही वैभव सनातन धर्म संस्कृति की पराकाष्ठा को परिलक्षित कर रहा था। दुनिया को भारतीय धर्म संस्कृति, आस्था और अनेककता में एकता, विश्व बंधुत्व, वसुधैव कुंटुम्बकम् का संदेश दे रहा था। इन सबके बीच आकर्षण का केंद्र नागा संन्यासियों की बड़ी जमात ने अपने-अपने अखाड़ों श्रीपंचयाती निरंजनी अखाड़ा और महानिर्वाणी अखाड़ों के साथ हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड पहुंच पूरे विधि-विधान और गंगा पूजन के साथ हर-हर महादेव, बम-बम भोले और हर-हर गंगे के जयकारों के बीच गंगा स्नान किया। अपने तय समय सवा दस बजे से करीब आधा घंटे पहले करीब पौने दस बजे से शाही स्नान शुरु हो गया था। इस क्रम में निरंजनी अखाड़े के बाद श्रीपंदशनाम जूना अखाड़ा की छत्र तले अग्नि, आह्वान और किन्नर अखाड़े ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि की अगुवाई में सोमवती अमावस्या का स्नान किया। इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद गिरि की अगुवाई में अपने नागा संन्यासियों के वैभव और शाही शान-ओ-शौकत के साथ ब्रह्मकुंड पर शाही स्नान किया। महानिर्वाणी अखाड़ा के साथ श्रीशंभू पंचायती अटल अखाड़े ने अपने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद जी सरस्वती महाराज की अगुवाई में शाही स्नान किया। संन्यासी अखाड़ों के स्नान के बाद तीनों बैरागी अणियों, निर्वाणी अणि, निर्मोही अणि और दिगंबर अणि, उनके 18 अखाड़ों और 1200 खालसों ने अपने-अपने अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास, श्रीमहंत धर्मदास और श्रीमहंत कृष्णदास की अगुवाई में हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड पर सोमवती अमावस्या का शाही स्नान किया। बैरागी अखाड़ों के बाद श्रीपंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन और श्रीपंचयाती नया अखाड़ा उदासीन ने अपने-अपने क्रम में अपने-अपने श्रीमहंत महेश्वरदास और मुखिया महंत भगतराम की अगुवाई में अपने-अपने लाव-लश्कर के साथ शाही स्नान किया। अंत में निर्मल अखाड़े ने श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह वेदातचार्य की अगुवाई में शाही स्नान किया। सुबह करीब पौने दस बजे आरंभ हुआ शाही स्नान का क्रम शाम करीब साढ़े पांच बजे तक चलता रहा। उधर, इस दौरान आम श्रद्धालुओं ने दिनभर अन्य गंगा घाटों सुभाष घाट, नाई सोता घाट, सर्वानंद घाट, बरला घाट, लव-कुश घाट, प्रेमनगर आश्रम घाट, अमरापुर घाट, दक्षमंदिर घाट, सती घाट, नीलधारा घाट, नमामि गंगे घाट सहित समेत सभी गंगा घाटों आस्था की डुबकियां लगा, भगवान भास्कर को अर्घ्य दे और दान-धर्म कर सोमवती अमावस्या का पुण्य अर्जित करते रहे। श्रद्धालुओं ने गंगा पूजन कर घर-परिवार की सुख समृद्धि की कामना की।