कोविड कर्फ्यू का गंभीरता से पालन करें, घर पर रहें, सुरक्षित रहेंः स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश। उत्तराखंड राज्य में कोविड-19 संक्रमितों की संख्या में वृद्धि के कारण उत्तराखंड सरकार द्वारा 11 से 18 मई तक लगाये गये कोविड कर्फ्यू का स्वागत करते हुये परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने प्रदेशवासियों का आह्वान करते हुये कहा कि वर्तमान समय में भारत सहित पूरी दुनिया में सभी लोगों का जीवन दहशत में है, सब खौफ में है और कई ऐसे है जिनसे उनके अपने छूट गये हैं, ऐसे में हम सभी का कर्तव्य है कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिये कोविड कर्फ्यू का गंभीरता से पालन किया जाये तथा घर पर रहें व सुरक्षित रहें।
स्वामी जी ने कहा कि हमारा प्रदेश पहाड़ों से युक्त होने के कारण स्वास्थ्य संसाधन को हर स्थान तक पहुंचाना दुर्लभ है और ऐसे में वायरस के ट्रांसमिशन को कम करने के लिये कोविड कर्फ्यू का पालन गंभीरता से करना होगा। उन्होने कहा कि जनसमुदाय के पास मास्क ही पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट है अतः जब भी बाहर जायें उसे सही तरीके से लगाना जरूरी है। मास्क को बार-बार हाथ न लगाये, बार-बार अपने चेहरे और आंखों को न छुएं मास्क को स्वच्छ रखें तथा फिजिकल डिसटेंसिंग का पालन कर हम सभी सुरिक्षत रह सकते हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि खुद को और दूसरों को कोविड-19 से सुरक्षित रखें। कुछ साधारण सावधानियां बरत कर हम स्वयं को और अपने पूरे समुदाय को सुरक्षित रख सकते हंै। स्वच्छ मास्क पहनना, कमरों को अच्छी तरह से हवादार रखना, भीड़ से बचना, अपने हाथों की सफाई करना बहुत जरूरी है। अपने घर के पर्यावरण को सुरक्षित बनाने के लिए प्राकृतिक वेंटिलेशन की मात्रा बढ़ाएँ।
स्वामी जी ने कहा कि कोरोना एक वैश्विक महामारी है और इससे सभी देशों के भविष्य को खतरा है इसलिये सभी को मिलकर एक दूसरे की मदद और मार्गदर्शन करना होगा। यह समय स्व अनुशासन का है, इस समय अपनी नैतिकता एवं अपनी जीवन शैली का प्रबंधन करें। अपने आप को तनाव मुक्त रखने के लिये प्राणायाम, योग, ध्यान के साथ प्रार्थना करें और मंत्रों का पाठ करते रहें, इसके लिये आपको इस समय किसी मंदिर में जाने की जरूरत नहीं बल्कि घर पर रहकर ही साधना करें और अपने दैनिक कार्यो को निपटायें। सेवा, सहायता और सहयोग ही सबसे बड़ी पूजा है। वर्तमान समय को अपनी अनंतता और अपना लौकिक अस्तित्व प्राप्त करने में लगाये। इस समय जीवन की सुरक्षा ही सबसे बड़ी उपलब्धि है।