मनरेगा के तहत दी जाने वाली मजदूरी में इजाफा करने के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने चुनाव आयोग से मांगी अनुमति
नई दिल्ली : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत दी जाने वाली मजदूरी में इजाफा करने के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने चुनाव आयोग से अनुमति मांगी है। इस कदम से देश के कई करोड़ लोगों को लाभ होगा। मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मनरेगा के तहत दी जाने वाली मजदूरी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर एग्रीकल्चर लेबर्स (सीपीआइ-एएल) से लिंक है और मजदूरी की नई दरें नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत यानी एक अप्रैल से अधिसूचित की जाती हैं। यह नियमित प्रक्रिया है, चूंकि आदर्श आचार संहिता प्रभावी है इसलिए मजदूरी की नई दरें अधिसूचित करने से पहले चुनाव आयोग की अनुमति मांगी गई है। अलग-अलग राज्यों में मजदूरी की दरें भी अलग-अलग हैं, इसलिए मजदूरी में बढ़ोतरी भी अलग-अलग होगी। कुछ राज्यों में मजदूरी अपरिवर्तित रह सकती है जबकि अन्य राज्यों में यह बढ़ोतरी पांच फीसद या इससे अधिक भी हो सकती है।
मालूम हो कि सरकार ने इस साल अंतरिम बजट में मनरेगा के तहत ग्रामीण रोजगार योजना के लिए 2019-20 के लिए 60 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए थे। जबकि पिछले साल यह राशि 55 हजार करोड़ रुपये थी। हालांकि 2018-19 के लिए योजना का संशोधित अनुमान 61,084.09 करोड़ रुपये था।बता दें कि ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ‘मनरेगा’ को 2005 में लागू किया गया था। अब यह देश के सभी ग्रामीण जिलों में लागू है। योजना का मुख्य उद्देश्य मांग के अनुसार ग्रामीण इलाकों में प्रत्येक परिवार को एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 100 दिन का अकुशल काम मुहैया कराना है। इसकी वजह से उत्पादक परिसंपत्तियों का सृजन भी होता है।