National

7 सितंबर की मध्य रात्रि के बाद भारत रचेगा इतिहास, रात के 1.55 बजे विक्रम चंद्रमा पर सॉफ्ट लॉन्च करेगा

नई दिल्ली । घड़ी की सुइयां जैसे-जैसे आगे बढ़ रही हैं, सवा अरब भारतीयों की धड़कनें भी तेज होती जा रही हैं। करीब डेढ़ महीने पहले चांद के सफर पर निकले चंद्रयान-2 का लैंडर ‘विक्रम’ इतिहास रचने से कुछ ही घंटे की दूरी पर है। आज रात डेढ़ से ढाई बजे के बीच लैंडर चांद पर उतरेगा। भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया की निगाहें इस उपलब्धि का गवाह बनने का इंतजार कर रही हैं। इसरो के वैज्ञानिक बता रहे हैं कि 7 सितंबर को चंद्रयान 2 चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चांद पर उतरेंगे। उस दौरान चंद्रयान-2 के अंतिम 15 मिनट काफी अहम होंगे। उसी 15 मिनट में इस मिशन की कामयाबी तय होगी। अगर उन 15 मिनट में सबकुछ ठीक ठाक रहा तो भारत अपने अंतरिक्ष मिशन में इतिहास लिखेगा और अगर थोड़ी भी असावधानी हुई तो सारे मेहनत पर पानी फिर सकता है।

आज आधी रात के बाद रचेगा इतिहास  इसरो के चेयरमैन डॉ के सिवन ने चंद्रयान-2 मिशन के लॉन्च होते ही बता चुके हैं कि इस मिशन का सबसे अहम पार्ट होगा, जब चंद्रयान चांद की सतह पर उतरेगा। उन्होंने कहा है कि जब चंद्रयान चंद्रमा की सतह से 30 किलोमीटर दूर होगा, तब विक्रम की लैंडिंग के लिए उसकी स्पीड कम की जाएगी। लैंडर विक्रम को चांद पर उतारने का काम काफी मुश्किल भरा होगा। इस दौरान 15 मिनट काफी चुनौतीपूर्ण होंगे। के सिवन ने कहा है कि पहली बार वो सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेंगे। 7 सितंबर की मध्य रात्रि के बाद भारत इतिहास रचेगा। रात के 1.55 बजे विक्रम चंद्रमा पर सॉफ्ट लॉन्च करेगा। चंद्रयान 2 के चांद की सतह के करीब जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। चंद्रयान लगातार अपनी ऑर्बिट कम कर रहा है।

एेसे होगी लैंडिग, 15 मिनट होगा महत्वपूर्ण  7 सितंबर की रात के 1.40 बजे विक्रम का पावर सिस्टम एक्टिवेट हो जाएगा। विक्रम चांद की सतह के बिल्कुल सीध में होगा। विक्रम अपने ऑनबोर्ड कैमरा से चांद के सतह की तस्वीरें लेना शुरू करेगा। विक्रम अपनी खींची तस्वीरों को धरती से लेकर आई चांद के सतह की दूसरी तस्वीरों से मिलान करके ये पता करने की कोशिश करेगा की लैंडिंग की सही जगह कौन सी होगी। इसरो के इंजीनियर ने लैंडिंग वाली जगह की पहचान कर ली है। पूरी कोशिश चंद्रयान को उस जगह पर उतारने की होगी। लैंडिंग की सतह 12 डिग्री से ज्यादा उबड़-खाबड़ नहीं होनी चाहिए। ताकि यान में किसी तरह की गड़बड़ी न हो। एक बार विक्रम लैंडिंग की जगह की पहचान कर लेगा, उसके बाद सॉफ्ट लॉन्च की तैयारी होगी। इसमें करीब 15 मिनट लगेंगे। यही 15 मिनट मिशन की कामयाबी का इतिहास लिखेंगे।

टिकी हैं दुनियाभर की निगाहें  चांद पर ‘विक्रम’ की लैंडिंग पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हैं। इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने सॉफ्ट लैंडिंग की इस प्रक्रिया को सबसे जटिल बताया है, क्योंकि इसरो ने पहले ऐसा नहीं किया है। चंद्रयान-2 चांद की सतह पर खनिजों की उपस्थिति का पता लगाएगा।

लैंडिंग का तरीका भी अनूठा  सिवन ने बताया कि साइंस फिक्शन फिल्मों में जिस तरह उड़नतश्तरियों को उतरते हुए दिखाया जाता है, ‘विक्रम’ भी चांद की सतह पर कुछ उसी तरह उतरेगा। उन्होंने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान लैंडर पर लगे कैमरा, लेजर आधारित सिस्टम, कंप्यूटर और सभी सॉफ्टवेयर को बिलकुल सही समय पर व एक-दूसरे से साम्य मिलाकर काम करना होगा।

अब तक ऐसा किसी देश ने नहीं किया  लैंडिंग की प्रक्रिया के बारे में सिवन ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि किसी देश ने इस प्रक्रिया के जरिये लैंडिंग की है, जिसमें लैंडर पर लगे कैमरा की मदद से वहां की तस्वीरें ली जाएंगी और इसी आधार उस पर लगा कंप्यूटर लैंडिंग की सही जगह तय करेगा। यह ऐतिहासिक क्षण होगा और हमें 100 फीसद सफलता का भरोसा है।’

चक्कर लगाता रहेगा ऑर्बिटर  यान का ऑर्बिटर 96 किलोमीटर पेरिजी और 125 किलोमीटर अपोजी वाली कक्षा में परिक्रमा कर रहा है। यह करीब सालभर परिक्रमा करते हुए प्रयोगों को अंजाम देगा। चांद की सतह पर उतरने वाले लैंडर-रोवर 14 दिन तक प्रयोग करेंगे। चांद के हिसाब से यह अवधि एक दिन के बराबर है।

भारत का दूसरा चंद्र अभियान  22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रवाना हुआ चंद्रयान-2 भारत का दूसरा चंद्र अभियान है। 2008 में चंद्रयान-1 को लांच किया गया था। यह ऑर्बिटर मिशन था, जिसने करीब आठ महीने चांद की परिक्रमा कर प्रयोगों को अंजाम दिया था। चांद पर पानी की खोज का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है।

ऐसा करना वाला दुनिया का चौथा देश होगा भारत  भारत जैसे ही चांद की सतह पर लैंडिंग करेगा, वो ऐसा करना वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अभी तक अमेरिका, रूस और चीन के पास ही इस तरह की विशेषज्ञता हासिल है। चंद्रयान-2 चांद के साउथ पोल पर लैंड करेगा। अभी तक इस जगह पर कोई भी देश नहीं पहुंचा है। चांद के साउथ पोल पर स्पेसक्राफ्ट उतारने के बाद भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button