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कांग्रेस नेता पीएल पुनिया के दावे को भाजपा ने सिरे से किया खारिज

नई दिल्ली। ब्रिटेन से प्रत्यर्पण के केस का सामना कर रहे फरार उद्योगपति विजय माल्या से वित्तमंत्री अरुण जेटली की मुलाकात के कांग्रेस नेता पीएल पुनिया के दावे को भाजपा ने सिरे से खारिज कर दिया है। पीएल पुनिया ने जेटली और माल्या की मुलाकात का चश्मदीद होने का दावा किया था, लेकिन भाजपा ने जेटली के एक मार्च 2016 के पूरे दिन कार्यक्रम जारी कर साफ कर दिया कि पुनिया और माल्या का दावा तथ्यों से परे है।

पुनिया ने सेंट्रल हाल में माल्या को जेटली से मिलने का किया था दावा  दरअसल भागने के पहले अरुण जेटली से मुलाकात के विजय माल्या के दावे पर मुहर लगाते हुए पीएल पुनिया ने कहा था कि उन्होंने खुद एक मार्च 2016 को संसद के सेंट्रल हॉल में माल्या और जेटली को 15 मिनट तक बातचीत करते हुए देखा था। भाजपा ने पुनिया के बयान की यह कहते हुए हवा निकाल दी कि उस दिन जेटली कभी सेंट्रल हाल में बैठे ही नहीं। भाजपा ने इसके लिए जेटली की पूरे दिन के कार्यक्रम का विस्तृत ब्यौरा जारी किया है।

भाजपा ने कहा कि उस दिन संसद के सेंट्रल हाल में जेटली गए ही नहीं  भाजपा के अनुसार, एक मार्च 2016 को अरुण जेटली 9.30 से 10.30 बजे तक भाजपा की संसदीय दल की बैठक में शामिल थे। इसके बाद संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अनौपचारिक मुलाकात की थी। मोदी के साथ मुलाकात के बाद जेटली सीधे राज्यसभा में चले गए और वहां 45 मिनट तक सदन की कार्यवाही में भाग लिया। 11 से 11.45 बजे तक राज्यसभा में रहने के बाद ठीक 11.47 बजे जेटली संसद से विज्ञान भवन के लिए निकल गए। विज्ञान के कार्यक्रम के वीडियो से साफ है कि जेटली ने ठीक एक बजकर आठ मिनट पर सिविल एकाउंट्स दिवस के कार्यक्रम में भाषण शुरू किया था। दो बजे तक विज्ञान भवन में रहने के बाद जेटली सीधे नार्थ ब्लाक स्थित वित्त मंत्रालय कार्यालय चले गए थे। इसके बाद वे उस दिन संसद भवन गए ही नहीं। उस दिन जेटली के कार्यक्रम से साफ है कि वे संसद के सेंट्रल हाल में गए ही नहीं थे, इसीलिए विजय माल्या के साथ मुलाकात का पीएल पुनिया का दावा तथ्यहीन है। गौरतलब है कि अरुण जेटली पहले ही साफ कर चुके हैं कि 2014 के बाद उन्होंने कभी भी माल्या को वक्त नहीं दिया। जेटली के अनुसार एक दिन जब वे सदन से अपने कमरे की ओर जा रहे थे तब संसद सदस्य होने का फायदा उठाते हुए माल्या गलियारे में तेज कदम से उनके पास आ गए थे और चलते हुए ही कहा कि वह बैंकों के कर्जो का भुगतान का प्रस्ताव कर रहे हैं, लेकिन माल्या की करतूतों से अच्छी तरह वाकिफ जेटली ने उसकी बात पूरी होने से पहले ही साफ कर दिया कि कोई भी प्रस्ताव वे बैंकों के सामने रखें। यहां तक कि जेटली ने माल्या के हाथ में मौजूद चंद दस्तावेजों को भी लेने से इनकार कर दिया था।

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