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भ्रष्टाचार पर निगाह रखने वाली सर्वोच्च संस्था लोकपाल का गठन, राष्‍ट्रपति ने दी मंजूरी

 नई दिल्ली। ऐतिहासिक क्षण साकार हो गया है। भ्रष्टाचार पर निगाह रखने वाली सर्वोच्च संस्था लोकपाल का गठन हो गया है। देश को बहुप्रतीक्षित लोकपाल मिल गया है। सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष (पीसी घोष) को राष्ट्रपति ने देश का पहला लोकपाल नियुक्त कर दिया है। जस्टिस घोष फिलहाल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा राष्ट्रपति ने लोकपाल में चार न्यायिक और चार गैर न्यायिक सदस्यों की भी नियुक्ति की है। न्यायिक सदस्य हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश हैं जबकि गैर न्यायिक सदस्यों में आइएएस, पूर्व आईपीएस और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने गत शुक्रवार को लोकपाल का अध्यक्ष और न्यायिक व गैर न्यायिक सदस्यों का चयन करके नियुक्ति के लिए नाम भेज दिये थे। राष्ट्रपति ने चयन समिति की सिफारिश स्वीकार करते हुए मंगलवार को लोकपाल अध्यक्ष और आठ सदस्यों की नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया। लोकपाल नियुक्ति मामले पर सुनवाई करते हुए गत 7 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा था कि वह दस दिन के भीतर बताएं कि लोकपाल की नियुक्ति के लिए नामों का चयन करने वाली चयन समिति की बैठक कब होगी।

राष्ट्रपति द्वारा जारी नियुक्ति आदेश में जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष को लोकपाल अध्यक्ष नियुक्त किया गया है जबकि हाईकोर्ट के सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश दिलीप बी भोसले, जस्टिस प्रदीप कुमार मोहन्ती, जस्टिस अभिलाषा कुमारी और जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी को न्यायिक सदस्य नियुक्त किया गया है। इसके अलावा आइएएस दिनेश कुमार जैन जो कि फिलहाल महाराष्ट्र के मुख्य सचिव हैं और पूर्व महानिदेशक सशस्त्र सीमा बल अर्चना रामसुन्दरम तथा श्री महेन्द्र सिंह व डाक्टर इंद्रजीत प्रसाद गौतम को गैर न्यायिक सदस्य नियुक्त किया गया है। इन सभी की नियुक्ति इनके पद ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी होगी। लोकपाल की पांच सदस्यीय चयन समिति में प्रधानमंत्री अध्यक्ष थे और लोकसभा स्पीकर, भारत के मुख्य न्यायाधीश, नेता विपक्ष और जानेमाने कानूनविद मुकुल रोहतगी सदस्य थें। चूंकि अभी नेता विपक्ष का पद पर कोई नहीं है, इसलिए सरकार लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को इस समिति में विशेष आमंत्रित के तौर पर बुलाती है। हालांकि शुक्रवार को हुई चयन समिति की बैठक में खड़गे ने भाग नहीं लिया। खड़गे को नेता विपक्ष के बजाए स्पेशल इनवाइटी के तौर पर बैठक में आमंत्रित किये जाने पर ऐतराज था।

लोकपाल का कार्यकाल  लोकपाल में अध्यक्ष और सदस्यों का पांच वर्ष या 70 वर्ष की आयु होने तक का कार्यकाल होगा।

किसी भी सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश ने नहीं किया था आवेदन  कानून के मुताबिक लोकपाल अध्यक्ष पद के लिए भारत का मुख्य न्यायाधीश या पूर्व मुख्य न्यायाधीश अथवा सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश या पूर्व न्यायाधीश हो सकता है। इसके अलावा कोई प्रसिद्ध शख्सियत भी लोकपाल नियुक्त हो सकती है अगर उसे 25 वर्ष तक एंटी करप्शन पालिसी या पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन या सतर्कता या वित्त बीमा बैंकिंग कानून अथवा प्रबंधन का अनुभव हो। सूत्र बताते हैं किसी भी पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने अध्यक्ष पद के लिए आवेदन नहीं किया। अध्यक्ष पद के लिए सुप्रीम कोर्ट के मात्र दो न्यायाधीशों जस्टिस प्रफुल्ल चंद्र पंत (पीसी पंत) और जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष (पीसी घोष) ने आवेदन किया था। सर्च कमेटी ने इन्हीं दोनों न्यायाधीशों के नाम चयन समिति को भेजे थे। जिसमें से चयन समिति ने जस्टिस घोष के नाम पर अपनी मुहर लगाई थी।

जस्टिस घोष का संक्षिप्त परिचय
1952 में जन्मे जस्टिस पीसी घोष (पिनाकी चंद्र घोष) जस्टिस शंभू चंद्र घोष के बेटे हैं। 1997 में वे कलकत्ता हाईकोर्ट में जज बने। दिसंबर 2012 में वह आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। 8 मार्च 2013 में वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश प्रोन्नत हुए और 27 मई 2017 को वह सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश पद से सेवानिवृत हुए। फिलहाल वह एनएचआरसी के सदस्य हैं।

फैसले जिसमें शामिल थे जस्टिस घोष
सुप्रीम कोर्ट में कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई अहम फैसले दिये।
1- अयोध्या में ढांचा ढहाने की साजिश में भाजपा और वीएचपी के नेताओं पर मुकदमा चलाने का आदेश
2- कलकत्ता हाईकोर्ट के सिटिंग जज सीएस कर्नन को अवमानना नोटिस और बाद में जमानती वारंट जारी करने का आदेश
3- पड़ोसी राज्यों से जल बंटवारा समझौता रद करने वाले पंजाब के कानून 2004 को असंवैधानिक ठहराना
4- बिहार के बाहुबली नेता मोहम्मद शाहबुद्दीन की जमानत रद कर जेल भेजना
5- सरकारी विज्ञापनों में नेताओं के फोटो छापने पर रोक का आदेश
6- तमिलनाडु में जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध का फैसला

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