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चुनावों में काले धन का इस्तेमाल रोकने में मौजूदा कानून कारगर नहीं: ओपी रावत

नई दिल्ली । मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने कहा है कि चुनावों में काले धन का इस्तेमाल रोकने में मौजूदा कानून कारगर नहीं हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि कैंब्रिज एनालिटिका की तरह डाटा चोरी और फर्जी खबरों का खतरा चुनाव प्रक्रिया पर बना हुआ है। शनिवार को दिल्ली राज्य निर्वाचन कार्यालय द्वारा ‘भारत में चुनावी लोकतंत्र को चुनौती’ विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही।

चंदे की पारदर्शिता के लिए कई सुझाव   रावत ने कहा कि धन का दुरुपयोग चुनावों के लिए मुख्य चिंता का विषय है। चुनाव प्रचार में चंदे की पारदर्शिता के लिए कई सुझाव आए हैं। इनमें सरकारी फंडिंग भी शामिल है। लेकिन, मौजूदा कानूनी ढांचा इस समस्या से निपटने में पूरी तरह से उपयुक्त नहीं है। इसलिए आयोग ने इस दिशा में कई सुधारात्मक उपाय सुझाए हैं।

धनबल पर प्रभावी नियंत्रण करना जरूरी   उन्होंने कहा कि जहां तक स्टेट फंडिंग का सवाल है, आयोग यह महसूस करता है कि धनबल पर प्रभावी नियंत्रण करना जरूरी है। जब तक चुनावी अखाड़े में धनबल के स्रोतमौजूद रहेंगे तब तक सरकारी फंडिंग जैसी पहल अपने उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर पाएगी।

फर्जी खबरों का बढ़ता खतरा, जनमत के प्रभावित होने का खतरा  रावत ने कहा कि दिल्ली राज्य निर्वाचन कार्यालय द्वारा आयोजित इस तरह की संगोष्ठियों के माध्यम से चुनाव सुधार के कारगर उपायों को उपयुक्त मंथन के बाद लागू करना प्रभावी पहल साबित होगी उन्होंने कहा कि भारत सहित अन्य लोकतांत्रित देशों में चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए तकनीक के दुरुपयोग से डाटा चोरी और फर्जी खबरों (फेक न्यूज) का प्रसारण आज और कल के प्रमुख खतरे हैं। रावत ने कैंब्रिज एनालिटिका मामले का जिक्र करते हुए कहा कि फर्जी खबरों के बढ़ते खतरे से वैश्विक जनमत प्रभावित होने की चिंता भी बढ़ गई है।

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