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पेट्रोल 74 तो डीजल 65 रुपये के पार

नई दिल्ली। शुक्रवार को नई दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 74.63 रुपये प्रति लीटर थी जबकि डीजल 65.93 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर था। इस तरह से इन दोनों के बीच का अंतर घट कर 8.70 रुपये प्रति लीटर रह गया है। ठीक दो वर्ष पहले यह अंतर 13.92 रुपये प्रति लीटर का था। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इतना कम अंतर पहले कभी नहीं रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर कार बाजार पर दिखाई दे रहा है। देश में डीजल चालित कारों की बिक्री तेजी से घट रही है। डीजल इंजन वाली कारों की हिस्सेदारी इन दो वर्षो में 44 फीसद से घट कर 35 फीसद रह गई है।

देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी की कारों की बिक्री में डीजल कारों की हिस्सेदारी इस दौरान 35 फीसद से घट कर 29 फीसद रह गई है। मारुति सुजुकी के अध्यक्ष आर सी भार्गव का कहना है कि ‘डीजल कारों की बिक्री आने वाले दिनों में और घटेगी। कीमत एक बड़ी वजह है। खास तौर पर बीएस-6 वाले ईंधनों की बिक्री शुरु होने के बाद। बीएस-6 मानक में पेट्रोल के मुकाबले डीजल को बेहतर व साफ ईंधन बनाने में ज्यादा लागत आती है।’ यह इसलिए होगा कि बीएस-6 मानक के तहत तैयार डीजल की कीमत मौजूदा कीमत से कम से कम 60 पैसे प्रति लीटर और ज्यादा होगी। सरकार ने अप्रैल, 2020 से देश भर में सिर्फ बीएस-6 ईंधन बेचने का फैसला किया है जिसे कम प्रदूषण फैलाने वाला माना जाता है। अभी यह दिल्ली एनसीआर में उपलब्ध है। इस क्षेत्र में वैसे अभी तेल कंपनियां बीएस-6 पेट्रोल व डीजल की बढ़ी हुई कीमत नहीं वसूल रही हैं। सरकारी तेल कंपनी इंडियन आयल कार्पोरेशन के एक अधिकारी के मुताबिक बीएस-6 के मुताबिक डीजल बनाने पर अभी 66 पैसे प्रति लीटर अतिरिक्त लागत आ रही है जबकि पेट्रोल में यह लागत 24 पैसे प्रति लीटर ज्यादा की है।

कार उद्योग के सूत्रों का कहना है कि डीजल कारों की बिक्री की रफ्तार पिछले दो वर्षो से ज्यादा तेजी से कम हुई है। यह सीधे तौर पर डीजल व पेट्रोल की कीमतों में अंतर घटने से हुआ है। साथ ही डीजल को लेकर बाजार में संशय भी काफी ज्यादा है कि पता नहीं कब सरकार या न्यायालय की तरफ से प्रदूषण को लेकर डीजल पर कोई बड़ा प्रतिबंध लग जाये। डीजल वाहनों की अवधि 10 वर्ष तय करने की वजह से भी ग्राहकों का रुझान कम हुआ है। पहले भाड़े की टैक्सी चलाने वाले वर्ग में डीजल वाले वाहनों की मांग थी लेकिन अब सीएनजी ने उनका स्थान ले लिया है। मारुति सुजुकी के कारों में डीजल व पेट्रोल की हिस्सेदारी 35:65 फीसद की थी जो अब घट कर 29:71 फीसद की रह गई है।

सनद रहे कि तकरीबन 10-12 वर्ष पेट्रोल व डीजल की कीमतों में 20 रुपये का अंतर था। उसी दौरान भारतीय बाजार में स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हिकल्स (एसयूवी) की बिक्री ने रफ्तार पकड़ी थी और देश में 80 फीसद एसयूवी डीजल इंजन वाले बिकने लगे थे। कीमतों में अंतर होने के साथ ही अब एसयूवी में भी पेट्रोल इंजन की हिस्सेदारी बढ़ कर 50 फीसद के करीब हो चुकी है। महिंद्रा, टोयोटा, होंडा के नए वाहनों में पेट्रोल इंजन पर ज्यादा फोकस होगा।

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