फटी जींस हमारी संस्कृति का द्योतक नहींः तीरथ
देहरादून। उत्तराखंड की सियासत गरमाने वाली फटी जींस का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री व गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने एक कार्यक्रम में अपने जींस वाले बयान को सही बताया। उन्होंने कहा वह जींस पहनने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन फटी जींस हमारी संस्कृति का द्योतक नहीं है। फटा कपड़ा पहनना हमारी संस्कृति में अशुभ माना जाता है। उनके बयान की आलोचना करने पर उन्होंने अपने विरोधियों को चुनौती दी कि यदि वे फटी जींस के इतने समर्थक हैं तो राजनीतिक व अन्य समारोह में फटी जींस पहनकर आएं। तीरथ दावा करते हैं कि उनके इस बयान के बाद सैकड़ों युवाओं ने फटी जींस पहनना छोड़ दिया।
उन्होंने कहा कि विदेशी लोग हमारी संस्कृति को अपना रहे हैं और हम विदेशी संस्कृति का अंधानुकरण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज यदि जींस फटी भी नहीं है, तो घर में आकर नौजवान उस पर कैंची चला लेता है। मेरा जींस का बिल्कुल विरोध नहीं है। लेकिन शरीर ढकना हमारी संस्कृति में है। फटा कपड़ा पहनना तो हमारी संस्कृति का द्योतक है ही नहीं। फटी जींस पर पूर्व मुख्यमंत्री के बयान को प्रदेश कांग्रेस ने संकीर्ण और संकुचित मानसिकता करार दिया है। पार्टी की गढ़वाल मंडल की मीडिया प्रभारी गरिमा दसौनी ने कहा कि एक बार विवादों में फंसने के बाद भी तीरथ सिंह रावत अपने पद की गरिमा नहीं रख पा रहे हैं। गरिमा ने कहा कि तीरथ रावत का यह बयान कि फटी जींस बड़े बाप की औलाद होने का एहसास दिलाती है, उनकी नासमझ को दर्शाता है। उन्होंने तीरथ सिंह रावत से अपने बयान को लेकर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की।