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शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में पाकिस्तानी प्रतिनिधि आए तो सही, लेकिन उन्होंने बैठक में शामिल न होकर सिर्फ डिनर में लिया हिस्सा, अब हो रही किरकिरी

नई दिल्ली। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) द्वारा दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय मिलिटरी मेडिसिन कॉन्फ्रेंस से पाकिस्तानी प्रतिनिधि गायब रहे, लेकिन उन्होंने डिनर में हिस्सा लिया। डिनर में शामिल होने के लिए पाकिस्तानी दूतावास के हवाई सलाहकार भी पहुंचे हुए थे। पाकिस्तानी अधिकारियों की इस हरकत से उनकी जमकर किरकिरी हो रही है। रक्षा अधिकारियों का कहना है, चूंकि पाकिस्तान एससीओ का सदस्य है, इसलिए उसे इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। राजनयिक सूत्रों ने गुरुवार को कहा था कि सम्मेलन के पहले दिन शामिल नहीं होने के बाद पाकिस्तान ने दो प्रतिनिधियों को बैठक में भेजने का फैसला किया था। पाकिस्तानी प्रतिनिधि आए तो सही, लेकिन उन्होंने बैठक में शामिल न होकर सिर्फ डिनर में हिस्सा लिया।दिल्ली में मानेकशॉ सेंटर में हुए इस दो दिवसीय सम्मेलन में 27 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, लेकिन पाकिस्तानी प्रतिनिधि मंडल की तीन कुर्सियां खाली रहीं। सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ भी मौजूद रहें।

जैव आतंकवाद से निपटने की चुनौती  दो दिवसीय इस सम्मेलन में राजनाथ सिंह ने कहा कि हम जैव आतंकवाद (bio terrorism) के खतरे से निपटने के लिए निर्माण क्षमताओं के महत्व को रेखांकित करना चाहते हैं। जैव आतंक आज एक वास्तविक खतरा है। सशस्त्र बलों और इसकी चिकित्सा सेवाओं का मुकाबला करने के लिए सबसे आगे रहने की जरूरत है। वहीं, भारतीय वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ ने सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं (एएफएमएस) की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता के मामले में गति बनी रहे। बता दें कि भारत 2017 में एससीओ का सदस्य बना था। भारत पहली बार मिलिटरी मेडिसिन कॉन्फ्रेंस की मेजबानी कर रहा है। सैन्य चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट पद्धतियों को साझा करने और क्षमताओं के निर्माण के लिए नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय द्वारा इसका आयोजन किया गया है।

क्या है शंघाई सहयोग संगठन  अप्रैल 1996 में शंघाई में एक बैठक हुई जिसमें चीन, रूस, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान शामिल हुए। इस दौरान वह आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों से निपटने के लिए सहयोग करने पर राजी हुए थे। तब इसे शंघाई-फाइव के नाम से जाना जाता था। हालांकि असल रूप में एससीओ की स्थापना 15 जून 2001 में हुई थी। इसकी स्थापना तब चीन, रूस और चार मध्य एशियाई देशों कज़ाकस्तान, किर्ग़िस्तान, ताजिकिस्तान और उज़बेकिस्तान के नेताओं ने मिलकर की थी। नस्लीय और धार्मिक चरमपंथ से निपटने और व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए समझौत हुआ था।

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