कुरुक्षेत्र में छिड़ा एक और महाभारत, साहसी महिलाएं बनीं सूत्रधार
कुरुक्षेत्र। धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र को महाभारत के यु्द्ध के लिए जाना जाता है। आज यहां फिर महाभारत छिड़ गया है और यह युद्ध लड़ रही हैं कुछ साहसी महिलाएं। जंग है समाज को बदलने आैर दुनिया में आने से पहले मार दी जाने वाली बेटियों को बचाने की। भ्रूण का लिंग परीक्षण करने और कन्या भ्रूण हत्या में लिप्त अनेक गिरोहों का भंडा फोड़ने वाली इन महिलाओं ने इस मुहिम में अपनी जान की परवाह तक नहीं की। नतीजा यह रहा कि आज इलाके में इस तरह के गिरोहों पर लगाम लग गई है। खुद आगे आईं.. : अपनी व गर्भ में पल रहे बच्चे की जान को जोखिम में डालने वाली इन महिलाओं ने जिला ही नहीं दूसरे राज्यों में भी स्वास्थ्य विभाग के खतरनाक मिशन पर काम करके कई गिरोह को सलाखों के पीछे पहुंचाया। इनमें से कई ऐसी हैं, जिनके परिवार ने खुद आगे बढ़कर बेटियों को कोख में मारने वालों के खिलाफ काम करने की इच्छा जताई और फिर स्वास्थ्य विभाग का साथ दिया। गर्भावस्था में स्वास्थ्य विभाग के साथ छापेमारी में अहम रोल निभाने वाली इन महिलाओं में से कई के आंगन में किलकारी भी गूंज चुकी है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने भी इन महिलाओं के जज्बे को सलाम किया और उन्हें पुरस्कार से नवाजा। निर्मला, शीना, मंजीत, रेखा, रेवती समेत 11 महिलाएं स्वास्थ्य विभाग की 26 छापामारी में शामिल हुईं। इसमें छह दूसरे राज्यों में की गईं। इन्होंने 100 आरोपियों को पकड़वाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और गर्भवती होने के बावजूद दूसरे राज्यों में जाने से नहीं घबराईं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी अपनी रणनीति को इन महिलाओं के दम पर ही अंजाम तक पहुंचाया। कुरुक्षेत्र की निर्मला ने कहा, मैं छोटे से गांव की रहने वाली हूं। छह माह पूर्व स्वास्थ्य विभाग के उप सिविल सर्जन डॉ. आरके सहाय और आशा वर्कर नोडल अधिकारी नरेश किसी गर्भवती महिला को छापामारी के लिए तैयार करने के लिए बातचीत कर रहे थे। उन दिनों मैं भी गर्भवती थी। मुझे लगा कि क्यों न मैं ही इनकी मदद करूं। पति से बात की तो वह राजी हो गए। मुझे इसमें बिल्कुल भी डर नहीं लगा। पता था कि स्वास्थ्य विभाग व पुलिस की टीम दोनों ही आसपास हैं। लिंग जांच कराने वाले गिरोह का एक सदस्य अपने साथ दोपहिया वाहन पर बिठाकर मुङो टेढ़ी-मेढ़ी गलियों से होता हुआ एक स्थान पर ले गया, जहां लिंग परीक्षण किया जाता था। जब गिरोह का सदस्य वापस छोड़ने आया तभी मैंने पुलिस टीम को इशारा कर दिया। दो महिलाओं समेत गिरोह के पांच लोग पकड़े गए। एक अन्य महिला शीना ने बताया, डेढ़ साल पहले की घटना है। मैं गर्भवती थी। टीम ने मुझे एक संदेहास्पद क्लीनिक पर भेजा, जो सचमुच लिंग जांच और कन्या भ्रूण हत्या का काम कर रहा था। मेरी उससे बात हुई। गिरोह के सदस्य एक गाड़ी में बिठाकर उत्तर प्रदेश की तरफ ले गए। गाड़ी में कुछ और महिलाएं भी थीं, जिन्हें जांच के लिए ले जाया जा रहा था।शीना ने बताया, बिजनौर जाते-जाते आरोपितों ने कई गाड़ियां बदलीं। यह इंटर स्टेट स्वास्थ्य विभाग की पहली छापामारी थी, जिसमें गिरोह के कई सदस्य धरे गए थे।उप सिविल सर्जन, कुरुक्षेत्र डॉ. आरके सहाय ने बताया कि इन साहसिक महिलाओं की वजह से ही गर्भपात व लिंग जांच के धंधे में संलिप्त गिरोहों का पर्दाफाश संभव हो सका। इन महिलाओं ने खुद आगे आकर इस मुहिम में भाग लेने की इच्छा जताई थी। इंटर स्टेट छापामारी में काम करने वाली महिलाओं को 21 हजार रुपये व जिला स्तर पर 11 हजार रुपये नकद पुरस्कार दिया जाता है।