पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन, सात दिन का राजकीय शोक
नई दिल्ली । पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन गुरुवार शाम 5.05 मिनट पर हो गया। वह 93 साल के थे। अटल जी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वाजपेयी को सांस लेने में परेशानी, यूरीन व किडनी में संक्रमण होने के कारण 11 जून को एम्स में भर्ती किया गया था। 15 अगस्त को उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया। एम्स से उनका पार्थिव शरीर उनके निवास कृष्ण मेनन मार्ग पर लाया गया। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के अनुसार शुक्रवार को सुबह नौ बजे अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को भाजपा मुख्यालय पर लाया जाएगा और एक बजे अंतिम यात्रा शुरू होगी। शाम चार बजे स्मृति स्थल पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
-केंद्र सरकार ने सात दिन का राजकीय शोक घोषित किया। इस दौरान आधा झंडा झुका रहेगा।
-उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड झारखंड और बिहार ने सात दिन का राजकीय शोक घोषित किया। पंजाब ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया।
-उत्तर प्रदेश, दिल्ली, झारखंड, बिहार, तमिलनाडु, उत्तराखंड और पंजाब में कल स्कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे।
-वाजपेयी का अंतिम संस्कार स्मृति स्थल पर किया जाएगा। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने इसके लिए डेढ़ एकड़ जमीन मुहैया कराई है।
-भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने कल दिल्ली के बाजार बंद करने का निर्णय लिया है।
-पूर्व प्रधानमंत्री का शव उनके निवास स्थान पर तिरंगे में लपेटा गया।
-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज ने उनके आवास पर श्रद्धांजलि अर्पित किया। -गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी श्रद्धांजलि अर्पित किया। एम्स के मुताबिक, बुधवार सुबह वाजपेयी को सांस लेने में तकलीफ हुई थी। इसके बाद उन्हें जरूरी दवाइयां दी गई थीं, लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया। भाजपा के संस्थापकों में शामिल वाजपेयी 3 बार देश के प्रधानमंत्री रहे। वह पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।वाजपेयी काफी दिनों से बीमार थे और वह करीब 15 साल पहले राजनीति से संन्यास ले चुके थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने लाल कृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर भाजपा की स्थापना की थी और उसे सत्ता के शिखर पहुंचाया। भारतीय राजनीति में अटल-आडवाणी की जोड़ी सुपरहिट साबित हुई। अटल बिहारी देश के उन चुनिन्दा राजनेताओं में से एक थे, जिन्हें दूरदर्शी माना जाता था। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में ऐसे कई फैसले लिए जिसने देश और उनके खुद के राजनीतिक छवि को काफी मजबूती दी।
उनका जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ब्रह्ममूहुर्त में शिन्दे की छावनी वाले घर में हुआ था। वैसे उनके स्कूल के सर्टिफिकेट में जन्म की तिथि 25 दिसंबर 1926 लिखी है। यह दो वर्षों का अंतर उनके पिताजी ने इसलिए कराया था कि कम आयु लिखी जाएगी तो लड़का ज्यादा दिनों तक नौकरी कर सकेगा।
इस संदर्भ का जिक्र स्वयं अटल बिहारी वाजपेयी ने ग्वालियर के श्री नारायण तरटे को 7 जनवरी, 1986 को लिखे एक पत्र में किया था। उन्होंने लिखा था ‘आपका पत्र मिला। बड़ी प्रसन्नता हुई। इतने संगी-साथियों में यदि किसी के स्नेह-आशीर्वाद की अभिलाषा रहती है तो वह आप ही हैं। मेरा जन्म 1924 में हुआ था। पिताजी ने स्कूल में नाम लिखाते समय 1926 लिखा दिया कि उम्र कम होगी तो नौकरी ज्यादा कर सकेगा, देर में रिटायर होगा। उन्हें क्या पता था कि मेरी वर्षगांठ मनेगी और मनाने वाले मुझे छोटा बनाकर पेश करेंगे।’
By Tilak Raj