पंजाब में भी शिमला जैसे हालात, बूंद बूंद पानी को तरसना पड़ सकता है जनता को
चंडीगढ़ । पंजाब भी शिमला जैसे जल संकट के करीब है। राज्य में जिस तरह के हालात हैं उसमें वह दिन दूर नहीं है, जब यहां भी शिमला के लोगों की तरह बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ेगा। जिस तेजी से राज्य के विभिन्न जिलों में जमीन के अंदर के पानी का स्तर नीचे जा रहा है, उसे अगर आज नहीं रोका गया, तो 10-15 वर्ष बाद पंजाब का हाल भी शिमला जैसा होने वाला है।
पीने लायक पानी का स्तर हर साल करीब 10 फीट नीचे जा रहा है। यही वजह है कि पंजाब के जालंधर, अमृतसर, लुधियाना व पटियाला जैसे जिलों में पेयजल के रूप में नगर निगमों की ओर से पानी की सप्लाई के लिए ट्यूबवेलों की बोरिंग बीते 20 वर्षों में 100 फीट से बढ़कर 400 फीट तक पहुंच गई है।सबसे बुरा हाल लुधियाना का है। पांच वर्षों में ‘रेड जोन’ में आने के बाद भी हर साल लुधियाना में 30 से 50 नए ट्यूबवेल लगाए जा रहे हैं। पंजाब में पेयजल के रूप में पानी की सप्लाई की व्यवस्था ट्यूबवेलों के जरिए ही की गई है। 20 साल पहले ट्यूबवेलों से पानी निकाल कर पानी की टंकियों में भरने के बाद उसकी सप्लाई की जाती थी। अब 80 फीसद हिस्सों में पानी की टंकियां पुराने होने के कारण सीधे ट्यूबवेलों से पानी की सप्लाई की जा रही है।