Uttarakhand
पर्यटन मंत्रालय ने ’देखो अपना देश’ श्रंृखला का वैबिनार ’योग एवं कल्याण’ को समर्पित किया
देहरादून। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रमों की कड़ी में शुक्रवार के वेबिनार को ’’योग और स्वास्थ्य’’ विषय को समर्पित किया गया। यह वेबिनार ’देखो अपना देश’ सिरीज़ के तहत आयोजित किया गया। उत्तराखंड में योग और देश की योग राजधानी मानी जाने वाले ऋषिकेश के महत्व को देखते हुए वेबिनार में देवभूमि उत्तराखंड के तीन योग गुरुओं एवं दार्शनिकों को एक मंच पर लाया गया। वेबिनार में योग गुरुओं ने बताया कि किस प्रकार योग का प्राचीन दर्शन एक स्वस्थ, सुखद और तनाव मुक्त जीवन जीने में सहायक सिद्ध होता है। वेबिनार का संचालन पर्यटन मंत्रालय में अतिरिक्त महानिदेशक सुश्री रूपिंदर बरार ने किया।
उत्तराखंड के पर्यटन सचिव और यूटीडीबी के सीईओ श्री दिलीप जावालकर ने कहा, ’’हम पर्यटन मंत्रालय के अत्यंत आभारी हैं कि हमें इस उपयोगी कार्यक्रम का हिस्सा बनाया गया। योग के फायदों को बढ़ावा देने तथा इस चुनौतीपूर्ण समय में लोगों को सेहतमंद व तनावमुक्त रहने हेतु बताने के लिए यह कार्यक्रम प्रासंगिक है। अति प्राचीन काल से उत्तराखंड को अध्यात्म और कल्याण के लिए जाना जाता है। दुनिया भर से लोग यहां आयुर्वेद, योग और ध्यान के लिए आते हैं। हम स्वास्थ्य एवं यात्रा का सर्वोत्तम अनुभव मुहैया कराने के लिए समर्पित हैं। उत्तराखंड की स्थिति का लाभ लेते हुए हम अपने प्रदेश को वैश्विक कल्याण का केन्द्र बनाना चाहते हैं। वर्तमान में कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत योग शारीरिक क्षमता को बढ़ाने के मद्देनज़र एक महत्वपूर्ण पद्धति है। इस बार 21 जून को विश्व योग दिवस की थीम घर पर योग व परिवार के साथ योग है। इस वैबिनार में ’योगिक दर्शन, योगसूत्र एवं मन’ शीर्षक से एक सत्र रखा गया जिसे देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के प्रो-वाइस चांसलर डाॅ चिन्मय पांड्या ने संबोधित किया। इस सत्र में उन्होंने बताया कि योग किस प्रकार मन को प्रभावित करता है और किस तरह हम इसकी मदद से अपने विचारों को नियंत्रित कर सकते हैं, किस प्रकार योग सकारात्मक सोच को प्रेरित कर सकता है और हमें तनाव से मुक्त रखता है जिसके फलस्वरूप हम समग्रता के साथ अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं।
भारत की योग राजधानी के नाम से प्रसिद्ध ऋषिकेश के उच्च योग्यता प्राप्त डाॅ लक्ष्मी नारायण जोशी ने भी वैबिनार में भाग लिया। उन्होंने नाड़ी विज्ञान की स्वास्थ्यप्रद तकनीकों को विस्तार से समझाया तथा कुछ विशेष पारंपरिक उपचारों के बारे में भी बताया जो प्राचीन विज्ञान से प्रेरित हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करते हैं तथा मौजूदा वायरल महामारी का मुकाबला भी करते हैं। डाॅ भरत भूषण के जीवन के ज्यादातर प्रारंभिक वर्ष गौमुख, उत्तराखंड में योग सीखते हुए बीते हैं। उन्होंने अपने सत्र में रोग प्रतिरोधक क्षमता एवं शक्ति बढ़ाने में योग की भूमिका पर बात की। उन्होंने सरल योग आसन और प्राणायाम भी प्रदर्शित किए जिनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है और जिन्हें आसानी से घर पर किया जा सकता है। ’देखो अपना देश’ पर्यटन मंत्रालय की पहल है जिसके तहत वैबिनार आयोजित करके भारत के विभिन्न पर्यटन स्थलों व साथ ही विरासत स्थलों की विस्तृत जानकारी दी जाती है।