Uttarakhand

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय वानिकी अनुसंधान एंव शिक्षा परिषद् में एक उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना का फैसला लिया

देहरादून। मरूस्थलीकरण नियंत्रण हेतु संयुक्त राष्ट्र संधि के पक्षकारों के 14वंे सम्मेलन के उच्च स्तरीय संभाग के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुये प्रघानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुंयक्त राष्ट्र एंव अंतराष्ट्रीय संस्थानांे के प्रमुख, सरकारों के प्रमुख कई देशों के मंत्रियों व विशेषज्ञांे की उपस्थिति में कहां कि भूमि निम्नीकरण की समस्याओं के समाधान हेतु वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तकनीक के समावेश को बढ़ावा देने हेतु भारत ने भारतीय वानिकी अनुसंधान एंव शिक्षा परिषद् में एक उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना का फैसला लिया है।
यह केन्द्र भूमि के निम्नीकरण समस्याओं सम्बन्धित ज्ञान, तकनीक तथा मानव संसाधन के प्रशिक्षण में इच्छुक दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देगा। वर्तमान में मरूस्थलीयकरण नियंत्रण हेतु संयुक्त राष्ट्र संधि के पक्षकारों का 14वां सम्मेलन भारत में हो रहा हैं। इस घोषणा से वानिकी अनुसंधान एंव भूमि निम्नीकरण की समस्याओं के समाधान एंव भूमि निम्नीकरण की समस्याओं के समाधान हेतु भारतीय वानिकी अनुसंधान एंव शिक्षा परिषद्, की वैज्ञानिक भूमिका को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में बढ़ावा मिलेगा।  देहरादून स्थित भारतीय वानिकी अनुसंधान एंव शिक्षा परिषद्, पर्यावरण एंव वन मंत्रालय, भारत सरकार की एक स्वरयत संस्था हैं, यह संस्था वानिकी अनुसंधान, शिक्षा एंव विस्तार पर भारत वर्ष में विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित नौ संस्थानों एंव पाँच अनुसंधान केन्द्रों के माध्यम से अपने कार्य सम्पादित करती हैं।
       भारतीय वानिकी अनुसंधान एंव शिक्षा परिषद् ने खादानों के पुनरूथान, क्षारिय तथा उसर मृदाओ के सुधार, रेत के टीलों का स्थरीकरण, शीत मरूस्थलों में वनीकरण, वायु रोधक कृषि वानिकी तंत्रां का विकास तथा हरित कौशल विकास कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य किया हैं। भारतीय वानिकी अनुसंधान एंव शिक्षा परिषद्, ने वनो की उत्पादकता एंव किसानों की आय बढ़ाने हेतु वृक्षों की उन्नत किस्मों का विकास भी किया हैं। भारतीय वानिकी अनुसंधान एंव शिक्षा परिषद्, द्वारा बनाई गयी निर्वनीकरण एंव वन निम्नीकरण की समस्याओं के समाधान हेतु राष्ट्रीय रेडड् प्लस रणनीति भारत सरकार ने स्वीकृत की हैं। भारतीय वानिकी अनुसंधान एंव शिक्षा परिषद् के महानिदेशक डा. सुरेश गैरोला, ने बताया कि यह उत्कृष्टता केन्द्र मरूस्थलीयकरण नियंत्रण हेतु संयुक्त राष्ट्र संधि के विकासशील सदस्य देशो के बीच भूमि के निम्नीकरण को रोकने एंव निम्नीकृत्त भूमि के सुधार हेतु ज्ञान एंव तकनीक का आदान प्रदान करेगा, जो कि जैव विविधता संरक्षण खाद्य एंव जल सुरक्षा, जीविकोपार्जन के साथ-साथ पर्यावरणीय सेवा के सुधार से उन्नति लाने में सहायक होगा। यह केन्द्र भूमि निम्नीकरण, पारितंत्र प्रबंधन पर हितधारको के ज्ञान के आदान प्रदान एंव क्षमता विकास के क्षेत्र में कार्य कर रहें अंतराष्ट्रीय एंव राष्ट्रीय संस्थानो की नेटवर्किंग में सहायता करेगा। यह केन्द्र भूमि निम्नीकरण को रोकने के कार्यो की मोनिटेरिंग एंव मूल्यांकन तथा इसका एक डाटा बेस भी तैयार करेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button