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केंद्र सरकार ममता के साथ धरने पर बैठने वाले राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वीरेंद्र कुमार समेत पांच वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कर सकती है दंडात्मक कार्रवाई

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के धरने में हिस्सा लेने के लिए केंद्र सरकार राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वीरेंद्र कुमार समेत पांच वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई कर सकती है। इसमें उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए प्रदान किए गए पदकों को वापस लेने और वरिष्ठता सूची से उनके नाम हटाने जैसे कदम शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि डीजीपी वीरेंद्र कुमार के अलावा जो चार अन्य अधिकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय के रडार पर हैं उनमें एडीजी सिक्योरिटी विनीत कुमार गोयल, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अनुज शर्मा, पुलिस कमिश्नर (बिधान नगर) ज्ञानवंत सिंह और कोलकाता के एडीशनल कमिश्नर सुप्रतिम सरकार शामिल हैं। इनके अलावा इसी तरह की कार्रवाई कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के खिलाफ भी की जा सकती है।

ममता बनर्जी के धरने में बैठने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहले ही राजीव कुमार के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है। सरकार उपरोक्त अधिकारियों के खिलाफ जो कार्रवाई करने पर विचार कर रही है उसमें उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए प्रदान किए गए पदक या सम्मान वापस लेना, वरिष्ठता सूची से उनके नाम हटाना और निश्चित अवधि के लिए केंद्र सरकार में सेवा देने (प्रतिनियुक्ति) पर प्रतिबंध लगाना शामिल है। माना जाता है कि अखिल भारतीय सेवा नियमों के कथित उल्लंघन के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन अधिकारियों के खिलाफ पश्चिम बंगाल से भी कार्रवाई करने के लिए कहा है। इसके अलावा केंद्र सरकार सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी करने पर भी विचार कर रही है ताकि वरदी पहनने वाले बलों के अधिकारी आचरण नियमों का पालन करें और शिष्टाचार बनाए रखें।

अदालती निर्देश पर जांच में सीबीआइ को प्रवेश से नहीं रोक सकते  केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में बताया कि अदालती निर्देश पर मामलों की जांच में राज्य सीबीआइ को प्रवेश करने से नहीं रोक सकते। दरअसल, सीबीआइ दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टिब्लिशमेंट (डीएसपीई) एक्ट, 1946 के प्रावधानों के तहत कार्य करती है। इसके तहत किसी भी राज्य में अपराध की जांच करने के लिए उसे संबंधित राज्य की पूर्व अनुमति हासिल करनी होती है।  जितेंद्र सिंह ने कहा कि संवैधानिक अदालतें बिना संबंधित राज्य सरकार की सहमति के भी अपने न्यायाधिकार का इस्तेमाल करते हुए कोई मामला या किसी वर्ग का मामला जांच के लिए सौंप सकती हैं। अगर राज्य सरकार सहमति वापस भी लेती है तो उसे आगे की तिथि से ही लागू किया जा सकता है, पिछली तिथि से नहीं। इस पर भी अगर जांच संवैधानिक अदालत के निर्देश पर की जा रही है तो वह राज्य सीबीआइ के प्रवेश पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता क्योंकि तब राज्य की सहमति जरूरी नहीं है।

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