कभी भीम ने अपना गोडा जमीन पर मारकर यहां गंगाजी को किया था प्रकट
हरिद्वार/देहरादून। यूं तो हरिद्वार में अनेक मंदिर, सिद्वपीठ व शिवालय हैं लेकिन अगर प्राचीनतम सिद्वपीठ या शिवालय की बात करें तो यहां पर भीमगोडा नाम से प्रसिद्व स्थान पर पांडवों द्वारा स्थापित शिवलिंग है जिसका अपना एक अलग ही इतिहास है। एस0डी0 न्यूज से बात करते हुए यहां के पुजारी व जानकारों बताया कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों को आत्मग्लानि हुई और युद्ध में उनके द्वारा मारे गये कौरवों व अन्य की आत्माओं की शांति के लिये तीर्थ यात्रा पर निकले तो अपनी यात्रा के दौरान हरिद्वार से गुजरते वक्त पांडव इस स्थान पर रूके, यहां पर भीम ने भगवान शंकर की तपस्या की। कहां जाता है इसी स्थान पर भीम ने जमीन पर अपना गोडा मारकर गंगाजी को प्रकट किया था आज भी यहां पर काफी बड़ा कुण्ड है। यहां पर माता कुन्ति के साथ पांचों पांडवों की मूर्तियां भी स्थापित हैं यहां पर एक गुप्त गंगा भी है जिसका जल कहां से आता है और कहां चला जाता है आजतक किसी को पता नहीं चला। वर्ष में दो बार बैशाखी व लोहड़ी के अवसर पर नेपाल देश से काफी नेपाली लोग अपने पित्रों की शांति के लिये पिण्डदान इत्यादि करने के लिये यहां पर आते हैं और कुण्ड में स्नान कर पुण्यफल का लाभ उठाते हैं। चूंकि भीमगोडा मंदिर काफी प्राचीन है लेकिन उचित रख रखाव के अभाव में मंदिर का सौदर्यकरण इत्यादि नहीं हो पाया है यहां के स्थानीय पार्षद ने हमें बताया कि मंदिर के उचित रख रखाव व सौंदर्यकरण को लेकर शासन स्तर पर कार्यवाही चल रही है और बहुत जल्द ही इस प्राचीन मंदिर का कायाकल्प बदलने की संभावना है। अधिक जानकारी के लिये नीचे वीडियो को क्लिक करेंः-