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इस देश में महिलाओं को कम सैलरी देने पर लगता है जुर्माना

क्रिकेट में महिलाओं को कम सैलरी तो बॉलीवुड में अभिनेत्रियों को कम पेमेंट, आम कामकाजी महिलाओं को वेतन कम, जेंडर पे-गैप पर कई सालों से सवाल उठ रहे हैं। इस मसले पर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है। 9 बार की विंबलडन चैंपियन मार्टिना नवरातिलोवा ने इल्जाम लगाए हैं कि उन्हें अपने पुरुष साथी से 10 गुना कम सैलरी दी गई है। जब सेलिब्रिटीज इस तरह की शिकायतें कर रहे हैं तो आम महिला की तो बात ही क्या है?
मार्टिना को मिले 13 लाख, जॉन को 1.3 करोड़
अपने खेल टेनिस से रिटायरमेंट ले चुकीं मार्टिना ने विंबलडन में बीबीसी के लिए कमेंट्री की थी। उनके साथ ही कमेंट्री पैनल में 3 बार के विंबलडन चैंपियन जॉन मैकेनरो भी थे। मार्टिना कहती हैं कि हम दोनों ने बराबर कमेंट्री की, लेकिन जॉन मैकेनरो को 10 गुना ज्यादा सैलरी दी गई। मार्टिना ने बीबीसी को एक ‘गुड ओल्ड बॉय नेटवर्क’ बताया, जिसमें पुरुषों की आवाज को महिलाओं की आवाज से ज्यादा महत्व दिया जाता है। मार्टिना के अनुसार पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम करने के बावजूद विंबलडन खत्म होने के बाद उन्हें 13 लाख रुपये मिले, जबकि जॉन को 1.3 करोड़।

विराट को 7 करोड़, मिताली को 50 लाख सालाना
भारतीय क्रिकेट में महिलाएं भी उतनी ही मेहनत कर रही हैं, जितनी पुरुष लेकिन वे भी जेंडर पे-गैप से पीड़ित हैं। पुरुष क्रिकेटर्स पर तो पैसा बरस रहा है, लेकिन महिला क्रिकेटर्स अपने वाजिब मेहनताने से वंचित हैं। आपको देखकर अजीब लगेगा कि पिछले महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल तक पहुंचने वाली इस टीम में सबसे अधिक सैलरी 50 लाख तय की गई है, जबकि पुरुष क्रिकेटर्स की सबसे कम सैलरी 1 करोड़ है। बीसीसीआई ने 7 मार्च को सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट की जो नई लिस्ट जारी की है उसमें ए प्लस कैटेगरी बनाई गई है, जिसके क्रिकेटर्स को सालाना 7 करोड़ रुपये मिलेंगे वहीं ए कैटेगरी के खिलाडिय़ों को साल की 5 करोड़ सैलरी मिलेगी। ज्ञात रहे यह लिस्ट 7 मार्च को आई और 8 मार्च महिला दिवस होने की बाबत लोगों ने इस सैलरी स्ट्रक्चर को लेकर बीसीसीआई को ट्रोल किया।
कंगना कर रहीं संघर्ष
बॉलीवुड एक्ट्रेसेज भी काफी समय से इस मसले को उठाती रही हैं और इंडस्ट्री में अभिनेत्रियों को कम सैलरी मिलने की शिकायत करती रही हैं। कंगना रनौत ने तो यहां तक कहा है कि मैंने जो अनुभव हासिल किया है मेरी सैलरी उसी पर आधारित होनी चाहिए। एक अभिनेता के पास 365 दिन होते हैं वैसे ही एक अभिनेत्री के पास भी 365 दिन होते हैं और वह भी इन दिनों को अपने प्रोजेक्ट्स में लगाती हैं। तो मुझे भी पैसा चाहिए। यह कहना गलत है कि आप लड़की हो तो पैसे कैसे मांग सकती हो। अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को समान पैसे मिले इसके लिए कंगना लंबे समय से संघर्ष कर रही हैं। वे कहती हैं इंडस्ट्री में चाहे फिल्म का साउंड रिकॉर्डर हो या मेकअप मैन या वुमन सभी को समान पैसे मिलने चाहिए।
सोनाक्षी को चाहिए हर क्षेत्र में बदलाव
दबंग गर्ल सोनाक्षी सिन्हा सिर्फ बॉलीवुड में ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में बदलाव चाहती हैं। कहती हैं मैं सिर्फ फिल्म उद्योग में ही बदलाव नहीं चाहती, बल्कि खेल या व्यापार या किसी भी अन्य पेशे में महिलाओं के लिए समान वेतन चाहती हूं। सोनाक्षी कहती हैं कि वेतन प्रतिभा और काम के हिसाब दिया जाना चाहिए, ना कि महिला व पुरुष के हिसाब से। फिल्म उद्योग में मुझे महिलाओं के वेतन में असमानता देखने को मिलती है, जबकि महिला सशक्तीकरण के लिए इस सुधार की बहुत जरूरत है।

जेंडर गैप के खिलाफ लड़ाई में आइसलैंड लीडर
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर इंडेक्स की लिस्ट में यूरोप का आइसलैंड पिछले आठ साल से नबंर वन है। इसके बावजूद यहां कामकाजी महिलाएं पुरुषों की तुलना में 14 से 18 परसेंट कम सैलरी पाती थीं। इसी गैप के खिलाफ आइसलैंड की महिलाओं ने पिछले साल अपने लंच ऑवर के दौरान सांकेतिक हड़ताल की थी। इसके बाद 2017 में वीमेंस डे के मौके पर यह बराबरी वाला बिल संसद में पेश किया। इस साल से आईसलैंड दुनिया का इकलौता देश बन गया है, जहां पुरुषों को महिलाओं से ज्यादा सैलरी देना अवैध होगा। नए साल से आईसलैंड में ये कानून लागू किया गया है, जिसमें एक काम के लिए पुरुषों और महिलाओं को बराबर वेतन देना पड़ेगा। नए लॉ के मुताबिक जो कंपनियां समान वेतन की नीति पर चलती नहीं पाई जाएंगी, उन्हें जुर्माना भरना होगा।

इंडिया में सैलरी कम
रत में भी महिलाओं की सैलरी पुरुषों के मुकाबले 20 प्रतिशत कम है। इस साल महिला दिवस के अवसर पर ‘मॉन्स्टर सैलरी इंडेक्स’ के नाम से आई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार एक अनुमान से पुरुष हर घंटे 231 रुपये और महिला 184.8 रुपये कमाती हैं। आईआईएम अहमदाबाद की मदद से 5,500 महिलाओं और पुरुषों को लेकर किए गए सर्वे में 36 प्रतिशत लोगों ने भेदभाव की बात मानी और कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। रिपोर्ट बताती है कि वेतन निर्धारण में कर्मचारी का पुरुष या महिला होना बहुत मायने रखता है।

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