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भारत के पवित्र और धार्मिक स्थलों में वाराणसी का खासा महत्व है:- डाॅ.कुमुद मिश्रा
देहरादून। भारत के पवित्र और धार्मिक स्थलों में वाराणसी का खासा महत्व है. विश्व में यह स्थल भारत की सांस्कृतिक एवं धार्मिक नगरी के रूप में विख्यात है. इसकी प्राचीनता की तुलना विश्व के अन्य प्राचीनतम नगरों जेरूसलम, एथेंस तथा पेइकिंग (बीजिंग) जैसे जगहों से की जाती हैl
विशालाक्षी शक्तिपीठ हिन्दू धर्म के प्रसिद्द 51 शक्तिपीठों में एक है। यहां देवी सती के मणिकर्णिका गिरने पर इस शक्तिपीठ की स्थापना हुई।
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी नगर में काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर पतित पावनी गंगा के तट पर स्थित मीरघाट( मणिकर्णिका घाट) पर है। वाराणसी का प्राचीन नाम काशी है। काशी प्राचीन भारत की सांस्कृतिक एवम पुरातत्व की धरोहर है।काशी या वाराणसी हिंदुओं की सात पवित्र पुरियों में से एक है। देवी पुराण में काशी के विशालाक्षी मंदिर का उल्लेख मिलता है।
*पौराणिक कथा*
पुराणों के अनुसार जहाँ-जहाँ सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ अस्तित्व में आये।इन शक्तिपीठों मे पुर्णागिरि, कामाख्या असम,महाकाली कलकत्ता,ज्वालामुखी कांगड़ा,शाकम्भरी सहारनपुर, हिंगलाज कराची आदि प्रमुख है ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाते हैं। कहा यह भी जाता है कि जब भगवान शिव वियोगी होकर सती के मृत शरीर को अपने कंधे पर रखकर इधर-उधर घूम रहे थे, तब भगवती के दाहिने कान की मणि इसी स्थान पर गिरी थी। इसलिए इस जगह को ‘मणिकर्णिका घाट’ भी कहते हैं। कहा यह भी जाता है कि जब भगवान शिव वियोगी होकर सती के मृत शरीर को अपने कंधे पर रखकर इधर-उधर घूम रहे थे, तब भगवती का कर्ण कुण्डल इसी स्थान पर गिरा था।
*विशालाक्षी पीठ*
देवी के सिद्ध स्थानों में काशी में मात्र विशालाक्षी का वर्णन मिलता है तथा एक मात्र विशालाक्षी पीठ का उल्लेख काशी में किया गया है। दक्षिण भारतीय शैली में स्थापत्य माँ विशालाक्षी की मूर्ति स्वयं ही देदिप्तमान आभा प्रसारित करती हैं। बहुत कम यात्रियों का यहाँ तक पहुँचना हो पाता है,जरूरत है मंदिर के बारे में प्रचार प्रसार की ।
*अविमुक्ते विशालाक्षी महाभागा महालये।[1]*
तथा
*वारणस्यां विशालाक्षी गौरीमुख निवासिनी[2]*
(देवी भागवत 7/38/27)
(देवी भागवत7/30/55)
एक और आख्यान के अनुसार मां अन्नपूर्णा जिनके आशीर्वाद से संसार के समस्त जीव भोजन प्राप्त करते हैं, ही विशालाक्षी हैं. स्कंद पुराण कथा के अनुसार जब ऋषि व्यास को वाराणसी में कोई भी भोजन अर्पण नहीं कर रहा था तब विशालाक्षी एक गृहिणी की भूमिका में प्रकट हुईं और ऋषि व्यास को भोजन दिया. विशालाक्षी की भूमिका बिलकुल अन्नपूर्णा के समान थीl
काशी विशालाक्षी मंदिर भारत का अत्यंत पावन तीर्थस्थान है. यहां की शक्ति विशालाक्षी माता तथा भैरव काल भैरव हैं. श्रद्धालु यहां शुरू से ही देवी मां के रूप में विशालाक्षी तथा भगवान शिव के रूप में काल भैरव की पूजा करने आते हैं. पुराणों में ऐसी परंपरा है कि विशालाक्षी माता को गंगा स्नान के बाद धूप, दीप, सुगंधित हार व मोतियों के आभूषण, नवीन वस्त्र आदि चढ़ाए जाए. ऐसी मान्यता है कि यह शक्तिपीठ दुर्गा मां की शक्ति का प्रतीक है. दुर्गा पूजा के समय हर साल लाखों श्रद्धालु इस शक्तिपीठ के दर्शन करने के लिए आते हैं l
*डाॅ.कुमुद मिश्रा*
*असी.प्रोफेसर ,वाराणसी* एवं
*प्रदेश अध्यक्षा* *श्री ब्रजेश्वरी राधे सेवा संस्थान, वृंदावन*