नई दिल्ली। सितंबर, 2018 में नई दिल्ली में भारत और अमेरिका के बीच होने वाली बहुप्रतीक्षित टू प्लस टू वार्ता में कामगारों को वीजा या एक दूसरे के आयात पर अंकुश लगाने जैसे कुछ मुद्दे उठ तो सकते हैं लेकिन एजेंडा में दीर्घकालिक उद्देश्यों को ही खास तवज्जो मिलेगी। कूटनीतिक व रणनीतिक क्षेत्र में सहयोग को ठोस दिशा देने को लेकर टू प्लस टू ढांचे के तहत यह पहली बैठक होगी, जिसके बारे में जानकारों का कहा है कि दोनो पक्ष इसके एजेंडे को ज्यादा से ज्यादा व्यापक बनाने की तैयारियों में जुटे हैं। भारत की कोशिश होगी कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका उसके साथ अपनी भावी सहयोग का खाका बताये तो अमेरिका निश्चित तौर पर चाहेगा कि भारत उसके हथियारों को खरीदने में और दरियादिली दिखाये।
कूटनीतिक व रणनीतिक सामंजस्य की दिशा तय करेगी बैठक
टू प्लस टू वार्ता का फैसला जून, 2017 में पीएम नरेंद्र मोदी व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पहली बैठक में हुआ था। इसके पहले दोनों देशों के बीच रणनीतिक व वाणिज्यिक सालाना वार्ता हुआ करती थी जिसकी शुरुआत मोदी और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने की थी। इसके पहले दोनो देशों के बीच रणनीतिक वार्ता होती थी जिसे मोदी और ओबामा ने व्यापक रुप दिया था। लेकिन मोदी और ट्रंप के बीच यह फैसला हुआ कि रणनीतिक व कूटनीतिक मुद्दों पर पूरा ध्यान देने के लिए विदेश व रक्षा मंत्रियों की सालाना बैठक हो।
जानकार बताते हैं कि दोनो पक्षों में तैयारी इस तरह से चल रही है कि जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण अपनी अमेरिकी समकक्ष विदेश मंत्री माइकल पोम्पीओ और रक्षा सचिव जेम्स मैटिस आमने सामने बैठे तो उनके सामने दीर्घकालिक भविष्य का एक पूरा एजेंडा हो। यह बैठक इस बात की तरफ भी संकेत देगा कि भारत व अमेरिका इंडो पैसिफिक क्षेत्र में किस तरह से आगे बढ़ते हैं। इसके साथ ही रक्षा उत्पादन में सहयोग एक दूसरा बड़ा एजेंडा होगा जिसके बारे में हाल के महीनों में कई स्तरों पर बातचीत हुई है।अमेरिका तकनीकी के आधार पर किस तरह से रक्षा उपकरणों का मेक इन इंडिया के तहत तैयार किया जाए, यह भी एजेंडे का एक अहम हिस्सा होगा। आतंक के खिलाफ सहयोग भी एक अहम एजेंडा रहेगा। सूत्रों के मुताबिक भारत यह पक्ष उठाने में कोई कोताही नहीं करेगा कि किस तरह से पाकिस्तान में आतंकियों पर लगाम कसने के बजाये उन्हें वैधानिक संरक्षण देने की कोशिश हो रही है। अंतरराष्ट्रीय आतंकी हाफिज सईद और मसूद अजहर की गतिविधियों का मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तान पर अमेरिका की तरफ से और ज्यादा दवाब बनाने की मंशा जता सकता है।
जिन मुद्दों पर होगा भारत का जोर
1. भारतीय कामगारों के साथ अमेरिका में भेदभाव
2. ईरान के साथ कारोबारी रिश्तों पर पूरी तरह से न लगे पाबंदी
3. आतंकियों पर पालने पोसने में अभी भी जुटा है पाकिस्तान
4. समुद्री क्षेत्र से जुड़े मौजूदा सहयोग को और मजबूत बनाना
5. हिंद व प्रशांत क्षेत्र में सैन्य सहयोग का स्पष्ट एजेंडा बनाना
6. मेक इन इंडिया के तहत भारत में रक्षा उपकरणों का निर्माण
7. परमाणु ऊर्जा से चलने वाले पनडुब्बी के निर्माण पर अमल।