अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बर्खास्त, उत्तराखंड में बर्खास्त होने वाली पहली जज
देहरादून। काशीपुर की एसीजीएम अनुराधा गर्ग को सेवा से बर्खास्त किया गया है। प्रदेश में पहली बार किसी जज को बर्खास्त किया गया है। अनुराधा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे। अनुराधा गर्ग 2005 बैच की न्यायिक अधिकारी हैं। अनुराधा गर्ग 2015 से निलंबित चल रही थीं, निलंबन के 4 साल बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। उनके खिलाफ की गई गोपनीय जांच में उनके ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोप सच पाए गए हैं। नैनीताल हाई कोर्ट की फुल बेंच ने उनकी बर्खास्तगी की अनुशंसा उत्तराखंड शासन को भेजी थी जिसके आधार पर कार्मिक विभाग ने उनकी बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया है। हाईकोर्ट की संस्तुति व राज्यपाल की मंजूरी के बाद काशीपुर की अतिरिक्त मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट अनुराधा गर्ग को भ्रष्टाचार के मामले में बर्खास्त कर दिया गया है। उत्तराखंड शासन ने इस बाबत आदेश जारी किया है। सेवा समाप्त करने का यह आदेश उच्च न्यायालय की सिफारिश पर जारी किया गया है। बता दें कि अनुराधा गर्ग 2015 से निलम्बित चल ही थीं। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश ने प्राथमिक जांच के आदेश दिए थे। राज्य बनने के 19 साल में पहली बार भ्रष्टाचार के मामले में न्यायिक अफसर को बर्खास्त किया गया है। अनुराध 2008 की न्यायिक सेवा की अधिकारी थी। उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल डीपी गैरोला ने मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर 27 मार्च को आदेश जारी कर एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट एसीजेएम काशीपुर ऊधमसिंह नगर अनुराधा गर्ग को प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में अनियमितताएं व भ्रष्टाचार की बात सामने आने पर निलंबित कर दिया था। मामले में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल नरेंद्र दत्त को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था। उनकी ओर से की गई प्रारंभिक जांच के बाद 24 मार्च 2015 को रिपोर्ट चीफ जस्टिस के समक्ष पेश की गई। रिपोर्ट में अनियमितता और भ्रष्टाचार की बात कही गई थी। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल डीपी गैरोला ने निलंबन आदेश जारी किए थे।