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कुंभ मेला पूरी भव्यता के साथ सफलता पूर्वक सम्पन्न कराने को सभी सनातनी व धार्मिक शाक्तियां प्रार्थना कर रहीः जगद्गुरू शंकराचार्य
हरिद्वार। शारदापीठ के जगद्गुरू शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम महाराज ने वैश्विक महामारी कोरोना से पूरे विश्व को मुक्ति प्रदान करने तथा सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना के साथ अधिष्ठात्री देवी मायादेवी तथा नगर कोतवाल श्रीआनंद भैरव की विशेष पूजा अर्चना की। जगदगुरू शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम का जूना अखाड़ा पहुचने पर अखाड़े के अन्र्तराष्टीय संरक्षक व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत स्वामी हरि गिरि व श्रीमहंत महेशपुरी ने नागा सयासियों के साथ परम्परागत ढंग से उनकी पूजा अर्चना कर स्वागत किया।
तत्पश्चात श्रीमहंत हरिगिरि महाराज के संयोजन में शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम ने महामाया मायादेवी की पूर्ण विधि-विधान से पूजा अर्चना कर कोरोना से मुक्ति तथा कुम्भ मेला 2021 को सकुशल सम्पन्न कराये जाने की प्रार्थना की। इसी कामना के साथ श्री आनंद भैरव भगवान की भी विशिष्ट पूजा अर्चना की गयी। राजरोश्वराश्रम महाराज ने कहा वर्तमान में विश्व कोरोना जैसी अज्ञात महामारी से त्रस्त है,जिसका साया हमारे विश्व प्रसिद्व कुम्भ मेले पर भी पड रहा है। इस भयंकर विपत्ति से बचने तथा कुंभ मेला पूरी भव्यता के साथ सफलता पूर्वक सम्पन्न कराये जाने हेतु सभी सनातनी व धार्मिक शाक्तियां ईश्वर से प्रार्थना कर रही है। उन्होंने कहा जूना अखाडेघ् द्वारा भी पूरे देश में सभी शक्ति पीठों व सिद्वपीठों आश्रमों में विशेष अनुष्ठान,यज्ञ व पूजा अर्चना की जा रही है। आज उन्हें भी इस पवित्र अनुष्ठान में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ है। पूजा अर्चना के पश्चात उन्होंने श्रीमहंत हरिगिरि महाराज से कुंभ मेले की व्यवस्थाओं को लेकर गंभीर विचार-विमर्श किया। शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम ने इस बात का भी समर्थन किया कि कुम्भ 2021के शाही स्नान अपनी नियत तथा निर्धारित तिथियों पर ही होंगे। श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने कहा कुंभ मेले की व्यवस्थाओं तथा उसके स्वरूप को लेकर जगद्गुरूशंकराचार्य महाराज ने कई बहुमूल्य सुझाव दिए है,जिन्हे निश्चित रूप से अमल में लाया जायेगा। शंकराचार्य महाराज उच्च कोटि के मनीषी संत है,उनके आर्शीववाद से कुम्भ मेला 2021 निश्चित रूप से अपनी पूर्ण भव्यता तथा गरिमा के साथ सम्पन्न होगा और कोरोना जैसी महामारी का निश्चित ही शीघ्र अंत होगा। इस अवसर पर कोठारी महंत लालभारती,कारोबारी महंत महादेवानंद गिरि,थानापति महंत नीलकंठ गिरि,थानापति रणधीर गिरि,पपुजारी महंत परमानंद गिरि,विवेक पुरी,महंत रामगिरि आदि उपस्थित थे।