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शीर्ष राज्य निर्माण आंदोलनकारी नंदन सिंह रावत के निधन से आंदोलनकारियों में शोक की लहर
देहरादून। उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के अग्रणी नेता नंदन सिंह रावत के निधन से राज्य आंदोलनकारियों में शोक की लहर है। उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष और चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए नंदन सिंह रावत के निधन को राज्य निर्माण आंदोलनकारियों की बड़ी क्षति बताया व कहा कि नंदन सिंह रावत ने अपने जीवन के सबसे अच्छे दिन उत्तराखंड राज्य निर्माण में लगाए थे।
वे कई बार गिरफ्तार हुए थे और अनेक रैलियों और कार्यक्रमों में उन्होंने अगुवाई की थी। सन् 2000 में राज्य बनने के बाद वह सामाजिक गतिविधियों में जुट गए थे और पिछले 20 सालों में शायद ही कोई ऐसा सामाजिक ताना-बाना हो जिसमें वह सक्रिय ना रहे हो या जिसमें उन्होंने सहयोग ना किया हो। धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि नंदन सिंह रावत को 3 दिन पूर्व दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में कोरोना संक्रमण के चलते भर्ती कराया गया था। वह दिल्ली के करमपुरा क्षेत्र में रहा करते थे और अल्मोड़ा जनपद के पत्थर कोट गांव के निवासी थे। आज तड़के वे कोरोना के ग्रास बन गए और ईश्वर ने उन्हें हमसे छीन लिया। उत्तराखंड मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष प्रीतम सिंह, नेता प्रतिपक्ष डा. इन्दिरा हृदयेश पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय व चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति के केंद्रीय अध्यक्ष हरि कृष्ण भट्ट, महिला शाखा की अध्यक्ष सावित्री नेगी, केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ विजेंद्र पोखरियाल, पूर्व राज्य मंत्री सरिता नेगी, अनिल जोशी, केंद्रीय अभियान समिति के अध्यक्ष अवतार सिंह बिष्ट, दिल्ली चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति के अध्यक्ष बृज मोहन सेमवाल, अचिन्हित आंदोलनकारी समिति की दिल्ली शाखा के अध्यक्ष मनमोहन शाह आदि तमाम नेताओं ने नंदन सिंह रावत के निधन को उत्तराखंड के लिए आघात बताया है। सभी नेताओं ने कहा है कि वह हर कमजोर उत्तराखंडी की मुखर आवाज थे। नंदन सिंह की आयु मात्र 53 वर्ष थी।