कांग्रेस नेता प्रो0 गौरव वल्लभ ने 2000रूपये के नोट एक्सचेेंज पाॅलिसी पर उठाये सवाल
ए0आई0सी0सी0 दिल्ली। प्रो० गौरव वल्लभ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि रात 8 बजे की घोषणाएं, शाम 7 बजे की घोषणाएं, देश का और अर्थव्यवस्था का पीछा नहीं छोड़ रहीं। करंसी नोट कोई घर से लेकर निकलता है, तो ये सोचकर निकलता है कि शाम तक इसको कंज्यूम कर लूं, क्या पता शाम तक इसकी वैल्यू रहेगी, या नहीं रहेगी। दो हजार का गुलाबी नोट, जिसको आपने और मैंने शायद एक साल, डेढ़ साल पहले देखा होगा पर सरकार के आंकड़ों के अनुसार 181 करोड़ ऐसे नोट अभी भी अर्थव्यवस्था में मौजूद हैं, जिनकी वैल्यू लगभग 3,62,000 करोड़ रुपए है। ये किनके पास हैं? हमने पहले भी इस मुद्दे पर बात की थी कि नोट आपने नहीं देखा, मैंने नहीं देखा, अगर हम बैंक में जाते हैं, तो बैंक मैनेजर बोलता है कि मैंने भी नहीं देखा सर, आपको कहाँ से दूँ, मैं? तो किनके पास था वो नोट? हमने बार-बार ये प्रश्न पूछा है। अब इस बार 20 तारीख से ये घोषणा की गई कि आप जाकर उसको एक्सचेंज करवा लीजिए, 30 सितंबर तक एक्सचेंज करवा लीजिए, एक नोट दो या तो पांच सौ के चार नोट ले आओ या सौ-सौ के 20 नोट ले आओ या 50 के चालीस नोट ले आओ और बोला 30 सितंबर के बाद भी ये बंद नहीं हो रहे हैं पर एक्सचेंज करवा लीजिए, पता नहीं क्या मंत्र ये है बंद नहीं हो रहे हैं, पर एक्सचेंज करा लीजिए, एक्सचेंज कराना अच्छा रहेगा।
इस बार घोषणा माननीय ने टीवी पर आकर नहीं की, इस बार रिजर्व बैंक का सर्कुलर आया। आपको याद होगा, जब आजाद हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी लूट हुई थी, तब फायनांस मिनिस्ट्री का सर्कुलर था, पर इस बार फायनांस मिनिस्ट्री का सर्कुलर नहीं था, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का सर्कुलर था।
अब हम कुछ बातें लेकर आए हैं और सरकार से इन पांच बातों का हम जवाब चाहते हैं कि रिजर्व बैंक ने एक स्पष्टीकरण दिया कि एक बार में जाओ, 10 नोट चेंज कराकर वापस बाहर आ जाओ, दिन भर में अगर 20 बार जाना चाहते हो तो 20 बार चले जाओ, 40 बार जाना चाहते हो तो 40 बार, वैसे 40 बार जा नहीं सकते हो, क्योंकि लंबी लाईन भी है, दिन भर करोगे तो 5-6 बार ये काम हो सकता है, पर आपसे कोई कुछ नहीं पूछेगा, ये नोट किसका है, ये नोट कहां से मिला, आपकी इंकम टैक्स, पैन कार्ड नंबर क्या है, आपका आधार कार्ड नंबर, नहीं वो नहीं पूछेंगे, इंकम टैक्स रिटर्न अगर भरना है तो उसको आधार से लिंक करवाना पड़ेगा, पर अगर इन 10 नोट को जितनी बार जाकर आना है 30 सितंबर तक कोई कुछ नहीं पूछेगा।
ये ब्लैक मनी को फैसिलिटेट किया जा रहा है कि ब्लैक मनी के लिए एक विंडो खोली गई है कि इस विंडो में जो आएगा, वो 10 नोट लेकर आए, दिन भर में 20 चक्कर लगा ले, 10 चक्कर लगा ले, 5 चक्कर लगा ले, 30 सितंबर तक जितने नोट लाना है लाइए, हम आपसे नहीं पूछेंगे कि आप कौन हो, आपका नाम क्या है, आपका पता क्या है, आपका पैन कार्ड नंबर क्या है, आपकी आय का स्त्रोत क्या है, आपने पिछले साल कितना इंकम शो किया या नहीं पूछेंगे।
तो जो डॉ० मनमोहन सिंह जी ने कहा था कि Demonetization is the greatest organized loot of independent India आज आप 2,000 के एक्सचेंज को आपने एक छूट दे दी, कोई कुछ नहीं पूछा जाएगा, ये तो वैसी बात हो गई कि रॉयल वेलकम किया जा रहा है ब्लैक मनी के कीपर्स को, ये 2,000 का एक्सचेंज प्रोग्राम नहीं है, This is a royal welcome to the keepers of Black money.
Point no. 2. थोड़ा बहुत जो एक 2,000 रुपए का नोट किनके पास मिलेगा – 6 करोड़ एमएसएमई के पास, क्योंकि उनकी वर्किंग कैपिटल है, वो कैश बेस्ड इकोनॉमी में काम करते हैं, उनका रोजमर्रा का सामान खरीदने के लिए, माल खरीदने के लिए। किनके पास मिलेगा, 1 या 2-3 नोट मिल सकते हैं, 6 करोड़ एमएसएमई ऑनर्स जो कि देश के हैं उनके पास मिल सकते हैं 2-4 नोट 11 करोड़ किसान के पास मिल सकता है, क्योंकि वो फसल बेचकर आया, उसको 2-3 नोट दे दिए, वो अपने घर में उसको लेकर बैठा है। अब 11 करोड़ देश के किसान और 6 करोड़ एमएसएमई के जो ऑनर्स हैं, वो वापस 42 डिग्री के टैम्प्रेचर में बैंकों के ऊपर लाइन लगा लो।
साहब गए 14 डिग्री के टैम्प्रेचर वाले सिडनी में और 6 करोड़ एमएसएमई उद्यमी को और 11 करोड़ किसानों को 44 डिग्री, 42 डिग्री, 45 डिग्री, कल तो दिल्ली में 46 डिग्री तापमान था, 46डिग्री में आपको लाइन में लगा दिया और लाइन में ही नहीं लगना है, अब आपका जो साईकल था, वो आपने ब्रेक कर दिया, क्योंकि अब आप जाओगे 2,000 अपनी वर्किंग कैपीटल के लिए जो 3-4 नोट अपनी जेब में रखते हो, आप बिजनेस में रखते हो, उनको एक्सचेंज कराने जाओगे, पूरी वर्किंग कैपिटल का जो साईकल है, वो ब्रेक होगा, जो अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर अभी तक डीमोनेटाइजेशन के प्रभाव से बाहर नहीं निकला था, उसको ऊपर एक और चपेट मारी, पता नहीं कहां से ये आईडिया लाते हैं। तीसरी बात और ये कैलकुलेशन करके आपके सामने रख रहा हूं। देश में इस समय 181 करोड़ 2,000 के नोट हैं, तो अगर हमें इनको एक्सचेंज कराना है तो मान लेते हैं एक आदमी एट ए टाइम 5 नोट एक्सचेंज कराता है तो कितने ट्रांजेक्शन होंगे, टोटल ट्रांजेक्शन होंगे, 36 करोड़ बैंक के ट्रांजेक्शन होंगे 36 crore in next 4 months. एक ट्रांजेक्शन में मैं मान लेता हूं 4 मिनट लगते हैं लगभग तो अगले 4 महीनों में बैंकों के 144 करोड़ मिनट सिर्फ किस काम में लग गए कि 2,000 के नोट जो भी ला रहा है उसको चार, 500 के नोट दो या बीस, 100-100 के नोट दो या चालीस, 50-50 के दो। तो लगभग 144 करोड़ मिनट अर्थात लगभग ढाई करोड़ घंटे बैंक की ब्रांचो के अगले 4 महीनों में नोटों की अदला-बदली में चले गए। बैंकों का काम क्या था – नया क्रेडिट दें, ताकि नए रोजगार का सृजन हो, नई जीडीपी देश में बने, लोगों की इंकम बढ़े, अब बैंको का काम आपने क्या करा दिया, क्रेडिट छोड़ दो। नए क्रेडिट देने की, नए लोन देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि काम तो आपको क्या करना है ढाई करोड़ घंटे, अगले 4 महीने में इस देश के सारे बैंक नोटों की अदला-बदली में डालेंगे। तो क्रेडिट ऑफटेक नहीं करेगा तो नए रोजगार का सृजन नहीं होगा, रियल इंकम देश में लोगों की नहीं बढ़ पाएगी, लोगों की इंकम वहीं पर स्टेगनेंट हो जाएगी। तो तीसरा पॉइंट ये है कि Bank credit will have an adverse impact, because 2.5 crore hours, approximately, will be lost in just exchange of Rs. 2,000 notes. Point no. 4, देश की डिस्क्रेशनरी कंज्यूमर डिमांड खत्म हो जाएगी, डिस्क्रेशनरी कंज्यूमर डिमांड क्या? एक तो मैंडेटरी कंज्यूमर डिमांड है कि भाई आटा लाना है, दाल लाना है, सब्जी लाना है, मतलब खाना ही पड़ेगा, पर डिस्क्रेशनरी कंज्यूमर डिमांड है जैसे High-end apparel, लग्जरी गाडि़यां, एंटरटेनमेंट, ट्रेवल, वो कैसे खत्म होगी कि भाई जिनके पास 2,000 के नोट हैं, वो पहले तो जाएंगे अगले 4 महीने में दो-दो हजार के पांच-पांच सौ में कंवर्ट करने और 500 में भी उनको थोड़ा भय है कि पता नहीं कब कौन सा सर्कुलर आ जाए और ये कुछ नया सर्कुलर आ जाए । तो डिस्क्रेशनरी डिमांड जो कंज्यूमर प्रोडक्टस की है वो नीचे आएगी, अगर वो डिस्क्रेशनरी डिमांड कंज्यूमर प्रोडक्ट्स की नीचे आएगी तो देश का जीएसटी कलेक्शन कम होगा, जीएसटी कलेक्शन कम होगा तो देश की सरकार के पास सोशल सेक्टर स्पेंडिंग में जो बजट एलोकेट किया था, वो पैसा ही नहीं होगा। तो कौन भुगता, वापस कौन भुगता। जिसने ब्लैक मनी रखी, वो नहीं भुगता, भुगता वो व्यक्ति जो कि लोअर इंकम ग्रुप में है या मिडिल इंकम ग्रुप में है, क्योंकि सोशल सेक्टर्स स्पेंडिंग से फायदा सबसे ज्यादा उसको होता है। पांचवी बात – भारतीय मुद्रा कोई मजाक का विषय नहीं है, हम नहीं चाहते हैं कि ये देश की मुद्रा के बारे में कोई विदेशी व्यक्ति ये बोले, अरे ये नोट कब तक रहेगा, यार इसका ध्यान रखना थोड़ा। Credibility of the currency is at stake. आज भारतीय करंसी को मजाक का पात्र बना दिया आपने, कब आप, कौन से नोट की घोषणा कर दो। जब क्रेडिब्लिटी की साख पर, मुद्रा की साख पर प्रश्न चिंह जो आ जाता है तो एक्सचेंज वैल्यू जो मुद्रा की है, एक्सेप्टब्लिटी जो मुद्रा की है, वो कमजोर पड़ जाती है और इन सारे मुद्दों से ब्लैक मनी कीपर्स को कोई फर्क नहीं पड़़ा, वो तो बिना नाम, बिना आधार कार्ड, बिना पैन कार्ड, मुंह पर मास्क भी लगाकर जा सकता है वो, कोई रोक-टोक नहीं है उसको, वहां जाए, जितना पैसा उसके पास 2,000 के नोट में है एक्सचेंज कराकर वापस आ जाए, पर इफेक्ट किस पर पड़ा – एमएसएमई को, किसान को, लोअर इंकम ग्रुप को, मिडल इंकम ग्रुप को, एम्प्लॉयमेंट अपॉर्चुनिटीज खत्म होगी, जीडीपी और नीचे गिरेगी, रियल इंकम, जो है देश के लोगों की जो वास्तविक आय है वो और नीचे आएगी।
इसलिए हम ये वापस पुन: सरकार से पूछना चाहते हैं कि 7वीं एनिवर्सरी आपकी ऑर्गनाइज्ड लूट की आने वाली है 2016 नवंबर से अब 2023 नवंबर आने वाला है, उससे पहले ये 2,000 का नोट सरकार ने निकाला था पहले तो वो समझा दे, कौन वो महान अर्थशास्त्री थे? क्योंकि मैं व्यक्तिगत रूप से उन अर्थशास्त्रियों को देखना चाहता हूं, उनको छूना चाहता हूं, जिन्होंने ये नोटबंदी और ये 2,000 का नोट निकालने का निर्णय किया, हम ये भी मांग करते हैं कि एक पूरा व्हाईट पेपर लेकर आएं कि Why Rs. 2,000 note was introduced? Who all were there,
who was saying कि ये 2,000 के नोट से काला धन खत्म हो जाएगा, उन सब लोगों से मिलना चाहते हैं देश के लोग, वो कौन से लोग और अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने बोला कि भाई इस 2,000 के नोट में चिप भी डाली हुई है, चिप का भयंकर संकट है इस देश में, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री त्रस्त है चिप के संकट से तो वो चिप के संकट के कारण इसको वापस लिया है, किस कारण से इसको वापस लिया है, ये 2,000 का नोट वापस एक्सचेंज करने का निर्णय क्यों लिया गया? पहले तो ये बताएं कि इसको क्यों लाया गया? और फिर ये बताएं कि इसको वापस क्यों लिया जा रहा है? देश इन सवालों का जवाब चाहता है, एक कंपोजिट व्हाइट पेपर We
demand from the government.
Prof. Gourav Vallabh said-
Mini DEMO (Rs 2,000) – Royal Welcome for keepers of Black Money