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संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे ब्रह्मलीन स्वामी हरिनारायणानंद-स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी
हरिद्वार। भारत साधु समाज के संस्थापक महामंत्री धर्माचार्य स्वामी हरिनारायणानंद महाराज के ब्रह्मलीन होने पर संत समाज ने भारत साधु समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज के संयोजन में जयराम आश्रम में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कर संत समाज को एकजुट करने में ब्रह्मलीन स्वामी हरिनाराणानंद के योगदान को स्मरण किया और दो दिन मिनट का मौन रखकर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि भारत साधु समाज के संस्थापक महामंत्री स्वामी हरिनारायणानंद ने जीवन पर्यन्त अपनी तप साधना, सेवा व लोककल्याणकारी कार्यो के माध्यम से समाज को एक नयी चेतना दी। भारत साधु समाज का गठन कर उन्होंने विभिन्न मत व सम्प्रदायों में विभक्त भारत के समस्त संत समाज को एकजुट किया और भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं के संरक्षण के साथ सामाजिक चेतना व राष्ट्रीय आपदाओं में अहर्निश सेवाएं प्रदान की। संत समाज को एकजुट करने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। संत समाज के प्रेरणा स्रोत ऐसे त्यागी महापुरूष के ब्रह्मलीन होने से समस्त संत समाज व्यथित है। उनके विचारों को आगे बढ़ाया जाएगा। समस्त संत समाज की कामना है कि गंगा मैया उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे।
पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि देश के सामाजिक, सांस्कृतिक व आध्यात्मिक निर्माण में संत समाज की हमेशा अहम भूमिका रही है। 1947 में देश के स्वाधीन होने के पश्चात शासन व्यवस्था व सामाजिक स्तर पर हो रहे परिवर्तनों को देखते हुए स्वामी हरिनारायणानंद ने 1956 में भारत साधु समाज का गठन कर समस्त संत समाज को एकजुट कर एक मंच प्रदान किया और सत्ता और संत समाज के बीच समन्वय स्थापित किया। उनके नेतृत्व में देश की सीमाओं और संस्कृति के संरक्षण के साथ मठ मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बचाने, गौरक्षा, नशाबंदी, देश की आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करने में संत समाज ने अहम योगदान दिया। उनके दिखाए पथ का अनुसरण करते हुए उनकी विरासत को संजोए रखने का संकल्प ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने स्वामी हरिनारायणानंद महाराज के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि लोककल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले स्वामी हरिनारायणानंद के विचार सदैव समाज का मार्गदर्शन करते रहेंगे।
श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी तथा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि देश के समस्त संत समाज को एकजुट करने का श्रेय स्वामी हरिनारायणानंद महाराज को ही जाता है। धर्म संस्कृति व राष्ट्र के प्रति उनके योगदान को सदैव स्मरण किया जाएगा।
महामण्डलेश्वर स्वामी ललितानन्द गिरी महाराज ने कहा कि भारत साधु समाज के जनक स्वामी हरिनारायणानंद महाराज के निधन से संत समाज को जो क्षति हुई है। उसे कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा। देश विदेश में भारत साधु समाज को नई पहचान दिलाने में उनके योगदान को कभी भुलाया नही जा सकेगा।
इस अवसर पर स्वामी संतोषानंद देव, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत श्याम प्रकाश, महंत गंगादास उदासीन, स्वामी देवानंद, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी विवेकानंद, महंत मोहन सिंह, महंत गुरविंदर सिंह, महंत अमनदीप सिह, महंत निर्मल दास, महंत सोहन सिंह, स्वामी भगवत स्वरूप महाराज, स्वामी नारायण गिरी, महंत दामोदर दास, महंत रामदास, महंत गुरप्रीत सिंह आदि सहित कई संत महंत मौजूद रहे।