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भरसार विश्वविद्यालय ने मानदेय एवं निर्माण कार्यों के लिए मांगे 25 करोड
देहरादून। वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार में माह अगस्त के बाद अपने संविदा एवं उपनल कार्मिकों को वेतन नहीं दे पायेगा। इसकी वजह है कि शासन द्वारा विश्वविद्यालय को वित्तीय वर्ष 2021-22 में 22 करोड़ के सापेक्ष केवल 5 करोड की धनराशि स्वीकृत की गई। जबकि विश्वविद्यालय को मानदेय के लिए 10 करोड़ तथा निर्माण कार्यों को पूर्ण करने के लिए रूपये 15 करोड़ की दरकार है। जिसके लिए शासन से चालू वित्तीय वर्ष के अनुपूरक बजट में 25 करोड़ धनराशि की मांग की गई है।
यह बात विश्वविद्यालय की विभिन्न समस्याओं को लेकर कैबिनेट मंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक डा. धन सिंह रावत द्वारा आज विधानसभा में आयोजित समीक्षा बैठक में सामने आई। डा. रावत ने कहा कि विश्वविद्यालय की अनेक समस्याएं हैं जिनका शीघ्र समाधान के लिए उन्होंने बैठक में मौजूद विभागीय सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम को निर्देशित किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.के. कर्नाटक ने बताया कि औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार के सभी पांच कैम्पस विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले क्षेत्रों में स्थित है। जहां पर आज भी अधिकारियों एवं कार्मिकों के लिए आवास की पूर्ण सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय के नव निर्मित बालिका एवं बालक छात्रावासों में फर्नीचर, पुस्तकालय तथा भरसार परिसर में ऑडिटोरियम की नितांत आवश्यकता है। इसी प्रकार विश्वविद्यालय का मुख्य प्रशासनिक भवन, कुलपति आवास तथा परिसर की सड़कें बजट के आभाव में अधूरी पड़ी हैं। जिसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा शासन से लगभग 15 करोड़ की मांग की गई है। इसी प्रकार विश्वविद्यालय के विभिन्न परिसरों में तैनात संविदा शिक्षकों, उपनल कार्मिकों एवं कृषि श्रमिकों के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष में लगभग 10 करोड़ की मांग की गई है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं अधिष्ठाता डा. बी.पी. नौटियाल ने बताया कि भरसार परिसर में बाउंड्रीवॉल न होने के कारण खूंखार जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है। जिसको देखते हुए शासन को चौनलिंक फेंसिंग का प्रस्ताव भेजा गया है, इस प्रकार शासन से निर्माणाधीन कार्यों को पूर्ण करने तथा कार्मिकों के मानदेय के लिए कुल 25 करोड़ धनराशि की अनुपूरक बजट में की गई है। साथ ही विश्वविद्यालय ने यूजीसी मानकों के अनुरूप कार्मिकों के ढ़ांचे का प्रस्ताव भी स्वीकृति हेतु शासन को भेजा है। बैठक में कुलपति प्रो. ए.के. कर्नाटक, सचिव कृषि एवं कृषि शिक्षा आर मीनाक्षी सुंदरम, डीन बी.पी.नौटियाल, उप वित्त नियंत्रक विमल जुगरान, सहायक निदेशक निर्माण भास्कर रावत, राहुल बिन्जोला सहित विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।