ओआइसी की वर्चुअल बैठक में मालदीव के अलावा सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने भी भारत का साथ दिया
न्यूयार्क। एक बार फिर पाकिस्तान की भारत के खिलाफ दुष्प्रचार की मुहिम और भारत व अरब बिरादरी के रिश्तों में खटास डालने की साजिश को तगड़ा झटका लगा है। संयुक्त राष्ट्र में इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआइसी) की वर्चुअल बैठक में पाकिस्तान ने इस्लामोफोबिया के आरोप पर भारत को घेरने की कोशिश की, लेकिन ओआइसी के कई सदस्यों देशों सऊदी अरब, यूएई और ओमान ने भारत का साथ दिया। पाकिस्तान के आरेापों पर ओआइसी के अन्य देशों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
मालदीव के बाद भारत के साथ खड़े हुए सऊदी अरब, यूएई और ओमान पिछले शनिवार को जहां मालदीव ने संयुक्त राष्ट्र में ओआईसी की वर्चुअल बैठक में भारत के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार की हवा निकाल दी थी। इकोनॉमिक टाइम्स अखबार के अनुसार, इस मामले में मालदीव के अलावा सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने भी भारत का साथ दिया है और पाकिस्तान के आरोपों को खारिज किया है। वहीं भारत के रणनीतिक साझीदार ओमान ने ओआइसी में इसे भारत का अंदरूनी मसला बताया। इससे यह भी पता चलता है कि ओआइसी में भारत की अहमियत किस प्रकार की है। इसे भारत के सऊदी अरब और यूएई के साथ बढ़ते व्यापारिक संबंधों के मद्देनजर देखा जा सकता है।
मलेशिया के स्टैंड में भी आया बदलाव सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की इस चाल के पीछे तुर्की का दिमाग है, जो ओआइसी में सऊदी और यूएई का महत्व कम करना चाहता है। इससे पहले पाकिस्तान और तुर्की का साथ देना वाले मलेशिया का स्टैंड भी इस बार नरम रहा। इस बार उसने पाकिस्तान पहले की तरह का साथ नहीं दिया। पहले मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के नेतृत्व में भारत का विरोध किया गया था, लेकिन मलेशिया में नेतृत्व परिवर्तन होते ही उसके स्टैंड में भी बदलाव आया है।
पाक के इस्लामोफोबिया के आरोपों का दिया जवाब ओआइसी की वर्चुअल बैठक में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने दावा किया कि भारत में इस्लामोफोबिया को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके जवाब में यूएन में मालदीव की स्थायी प्रतिनिधि थिलमीजा हुसैन ने कहा था कि भारत के संदर्भ में इस्लामोबिया का आरोप लगाना तथ्यात्मक रूप से गलत होगा। उन्होंने कहा था कि भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और बहु-सांस्कृतिक समाज है। यहां 20 करोड़ से अधिक मुसलमान रह रहे हैं। ऐसे में इस्लामोफोबिया का आरोप लगाना तथ्यात्मक रूप से गलत होगा। उन्होंने कहा कि यह दक्षिण एशियाई क्षेत्र में धार्मिक सद्भाव के लिए ऐसा करना हानिकारक होगा। इस्लाम भारत में सदियों से मौजूद है और यह देश का 14.2 फीसद आबादी के साथ भारत में दूसरा सबसे बड़ा धर्म है। थिल्मिजा ने कहा था कि दुनिया ने घृणा, पूर्वाग्रह और नस्लवाद की संस्कृति में एक खतरनाक वृद्धि देखी है। राजनीतिक और अन्य विचारधाराओं / एजेंडों को बढ़ावा देने के लिए हिंसा के रूप में हिंसा का इस्तेमाल किया गया है। मालदीव दुनिया में कहीं भी इस तरह के कार्यों के खिलाफ मजबूती से खड़ा है।