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बुधवार को ट्रंप की पीएम मोदी के साथ होने वाली मुलाकात के जो नतीजे निकलेंगे वह पाकिस्तान के लिए बहुत सुखद नहीं होंगे

नई दिल्ली। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ होने वाली बातचीत का चाहे जो भी अंजाम निकले, लेकिन बुधवार को ट्रंप की पीएम मोदी के साथ होने वाली मुलाकात के जो नतीजे निकलेंगे वह पड़ोसी देश के लिए बहुत सुखद नहीं होंगे।  ट्रंप और मोदी के बीच होने वाली द्विपक्षीय वार्ता से भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ मौजूदा सहयोग के ढांचे को और मजबूत करने का रास्ता खुलेगा। यही नहीं दोनों देशों की संयुक्त घोषणा पत्र में सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ बहुत ही संकेत दिया जाएगा। भारत व अमेरिका के संबंधित मंत्रालयों में आतंकवाद के खिलाफ अपनी मौजूदा तंत्र को मजबूत बनाने को लेकर लगातार बातचीत हो रही है जिसका असर द्विपक्षीय वार्ता में दिखाई देगा।

अमेरिका इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ

राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में इस बात का संकेत भी दिया है। ह्यूस्टन के एनआरजी स्टेडियम में 50 हजार से ज्यादा भारतवंशियों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा था कि कट्टर इस्लामिक आतंकवाद से भारतीयों व अमेरिकियों को बचाने के लिए हम दृढ़ता के साथ एकजुट हैं। सीमा की सुरक्षा करना दोनों देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

मोदी ने पाक के आतंकी चेहरे को बेनकाब किया जानकारों के मुताबिक जिस तरह से मोदी ने भी अपने भाषण में पाकिस्तान का नाम लिये बगैर उसके आतंकी चेहरे को बेनकाब किया है वह भी अमेरिका व भारत के बीच बन रहे गठजोड़ का संकेत देता है। कूटनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक मोदी व ट्रंप के भाषणों को लेकर दोनो देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर पहले चर्चा हुई होगी और अमेरिकी पक्ष की सहमति के बाद ही मोदी ने पाकिस्तान की तरफ से आतंकवाद को प्रश्रय देने की नीति पर निशाना साधा है। इसके पहले मोदी की अमेरिका यात्रा शुरु होने से पहले विदेश सचिव विजय गोखले यह बता चुके हैं कि शिखर वार्ता में आतंकवाद एक अहम मुद्दा होगा।

सीमा पार आतंकवाद सूत्रों के मुताबिक पिछले मार्च, 2019 में दोनों देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ गठित कार्यदल की 16वीं बैठक वाशिंगटन में हुई थी। उसी समय यह तय हुआ था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कट्टर धार्मिक आतंकवाद के बढ़ते खतरे को देखते हुए नये सहयोगात्मक ढांचे की दरकार है। उसी बैठक में पाकिस्तान की तरफ से हो रहे सीमा पार आतंकवाद पर भी चर्चा हुई थी। उस बैठक में बनी सहमति के आधार पर बाद में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से पाकिस्तान में रहने वाले आतंकी मौलाना मसूद अजहर (जैश-ए-मोहम्मद का सरगना) पर प्रतिबंध लगाने में सफलता हासिल हुई थी।

पाक को आतंकवाद को पालना महंगा पड़ सकता है मोदी और ट्रंप के बीच होने वाली बैठक में सहयोग के नये ढांचे को मंजूरी मिलने के आसार है। यह एक तरह से पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी भी होगी कि उसके लिए आतंकवाद को पालना बहुत महंगा पड़ेगा।

ट्रंप अमेरिकी हितों की वजह से भारत के साथ हैं सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप दरअसल अमेरिकी हितों की वजह से भी भारत के साथ मिल कर इस्लामिक आतंकवाद और पाकिस्तान की मिली भगत पर निशाना साधना चाहते हैं। ट्रंप अफगानिस्तान से अपनी सेना की वापसी पर काम कर रहे हैं, लेकिन इसकी राह में सबसे बड़ी अड़चन पाकिस्तान में पनाह पाये तालिबानी आतंकी है। इन आतंकियों को पाकिस्तान अपने कूटनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।

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