एक शहीद की बहन की शादी जिसमें वायुसेना के 50 कमांडोज ने दुल्हन को दी अनोखी विदाई
रोहतास । एक बेटे की शहादत के बाद 50 बेटे आ गए और उन्होंने शहीद की बहन की शादी की व्यवस्था इस अंदाज में की कि लोग वाह-वाह कर उठे। हम बात कर रहे हैं 18 नवंबर 2017 को कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए एयरफोर्स की गरुड़ यूनिट के कमांडो ज्योति प्रकाश निराला की। उनकी अपनी बहन शशिकला की शादी में गरूड़ यूनिट के 50 कमांडो मौजूद रहे। उन्होंने शादी की पूरी व्यवस्था तो की ही, दुल्हन की विदाई के दौरान उसके पैरों तले अपनी हथेलियां बिछा दीं।
गरुड़ कमांडो यूनिट और एयर चीफ मार्शल को दिया था निमंत्रण देश पर न्योछावर होने वाले शहीद ज्याेति प्रकाश निराला माता-पिता के इकलौते पुत्र और तीन बहनों के भाई थे। पिता तेजनारायण सिंह बताते हैं कि दूसरी बेटी शशिकला की शादी इसी साल तीन जून को डेहरी के पाली रोड निवासी उमाशंकर यादव के पुत्र सुजीत कुमार के साथ तय की। शादी की जानकारी गरुड़ कमांडो यूनिट और एयर चीफ मार्शल बीएस धनवा को भी दी थी।
शादी में पहुंचे 50 कमांडो, संभाल ली पूरी व्यवस्था पिता तेजनारायण सिंह की आंखें फटी रह गईं, जब यूनिट के करीब 50 कमांडो यहां पहुंच गए। उन्होंने शादी की पूरी व्यवस्था अपने हाथों में ले ली थी। बेटी की शादी कैसे हुई, पता ही नहीं चला। मेरी आंखें छलक रही थीं। यह महसूस हुआ कि मेरे तो कई निराले बेटे साथ खड़े हैं।
बहन की राह में कमांडोज ने बिछा दीं अपनी हथेलियां शादी में भाई की हर रस्म इन कमांडो ने ही अदा की। उस बहन का सौभाग्य इससे और ज्यादा क्या होगा, जिसके इतने-इतने भाई उसकी अपनी पलकों पर बिठाने को आतुर हों। उस दृश्य ने तो कन्या और वर दोनों ही पक्ष को भावविह्वल कर दिया, जब मंडप पर जा रही बहन की राह में कमांडोज ने अपनी हथेलियां बिछा दीं। बहन को विदा भी इन्हीं हथेलियों पर किया।
बेटों ने मां को कर दिया निहाल शहीद की मां मालती देवी रुंधे गले से कहती हैं, जिसके इतने बेटे हों उस मां को क्या चिंता होगी। इन बेटों ने इस मां पर अपना सारा प्यार उड़ेल दिया। आज महसूस हुआ कि शहीद के परिवार अकेले नहीं होते, पूरा देश साथ खड़ा होता है।
वर पक्ष बोला: शहीद के घर शादी कर हो रहा गर्व शशिकला के पति सुजीत कुमार बंगलुरू में रेलवे में लोको पायलट हैं। वे कहते हैं कि एक शहीद के घर शादी कर गौरवान्वित हैं। डेहरी में रेलवे इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत उनके पिता उमाशंकर यादव कहते हैं, इस बहू को घर लाकर हम धन्य हो गए। कोई दान-दहेज नहीं, वैसे भी बिहार में दहेज लेना मना है।
कौन हैं शहीद ज्योति प्रकाश निराला, जानिए ज्योति प्रकाश निराला कश्मीर के बांदीपोरा में एयरफोर्स की गरुड़ कमांडो यूनिट में थे। वे 18 नवंबर 2017 को आतंकियों से मुठभेड़ के दाैरान शहीद हो गए। इससे पहले उन्होंने दो खतरनाक आतंकियों लश्कर कमांडर लखवी के भतीजे उबैद उर्फ ओसामा और महमूद भाई को मार गिराया था। निराला ने अपने घायल साथियों की जान भी खुद की जान पर खेल कर बचाई थी। इस ऑपरेशन में छह कुख्यात आतंकी मारे गए थे।
निराला को शहादत के उपरांत पिछले साल 26 जनवरी को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। उनकी मां व पत्नी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से यह सम्मान ग्रहण किया था। अशोक चक्र शांतिकाल में दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।