नई दिल्ली । दक्षिण चीन सागर पर चीन अब और अधिक आक्रामक हो गया है। उसने यहां के हवाई क्षेत्र में उड़ रहे एक हेलीकॉप्टर को निशाना बनाया है। यह हेलीकॉप्टर आस्ट्रेलियाई मिलिट्री का था। इस घटना के बाद एहतियातन जांच के लिए हेलीकॉप्टर और क्रू मैंबर्स को ग्राउंड पर उतार लिया गया है। यह घटना उस वक्त घटी जब आस्ट्रेलियाई हेलीकॉप्टर एक मछली पकड़ने वाले जहाज के ऊपर से गुजर रहा था। इस घटना की जानकारी आस्ट्रेलियन स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टिट्यूट (Australian Strategic Policy Institute) के यूआन ग्राहम ने स्ट्रेटेजिक ब्लॉग पर दी है। सीएनएन से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि वह इस घटना के गवाह नहीं हैं लेकिन हेलीकॉप्टर पायलट ने उन्हें बताया था कि इस तरह की घटना पहली बार नहीं हुई है। पहले भी कई बार दक्षिण चीन सागर के ऊपर से उड़ान के दौरान इस तरह का हमला किया गया है। ग्राहम रॉयल आस्ट्रेलियन नेवी के एएमएएस केनबरा (HMAS Canberra) पर तैनात हैं। यह हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर (South China Sea) के मिशन पर है जो अब लगभग खत्म होने वाला है। ग्राहम की रिपोर्ट पर फिलहाल आस्ट्रेलियाई सेना के अधिकारी विचार कर रहे हैं।
कहा जा रहा है कि इस समुद्री इलाके में मौजूद मछली पकड़ने की बड़ी नौकाएं भी इस तरह के लेजर वेपन का इस्तेमाल करती हैं। वे इनका इस्तेमाल दूसरे जहाजों को आगाह करने या फिर उनके अधिक करीब आ जाने पर करते हैं। इसका मकसद जहाजों को टकराने से होने वाली दुर्घटना से बचाना है। ग्राहम के मुताबिक केनबरा समेत दूसरे आस्ट्रेलिया शिप जब भी दक्षिण चीन सागर के मिशन पर होते हैं तो कभी भी चाइनीज मिलिट्री द्वारा कब्जाए गए द्वीपों की तरफ नहीं जाते हैं। यह विवाद से बचने का भी एक तरीका है। मिशन के दौरान आस्ट्रेलियाई मिलिट्री शिप का तालमेल वहां मौजूद चीन मिलिट्री शिप से बना रहता है। आपको बता दें कि 1.3 मिलियन स्क्वायर मील तक फैले दक्षिण चीन सागर में चीन अपना कब्जा जताता रहा है। इसके कई द्वीपों पर चीन ने न सिर्फ कब्जा किया हुआ है बल्कि इन पर सेना के लिए निर्माण भी किया हुआ है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इस विवादित क्षेत्र पर कई दूसरे देश भी अपना कब्जा बताते हैं। यहां पर आपको ये भी बता दें कि इस विवादित इलाके में चीन की सेना के अलावा ये मछली पकड़ने की नौकाएं चीन की सेना के इशारे पर काम करती हैं। कथिततौर पर चीन इनकी मदद लेता है। ग्राहम का ये भी कहना है कि इसमें कोई शक नहीं है कि इस विवादित इलाके में मौजूद किसी भी विदेशी जहाज और विमानों को यहां पर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से कई बार क्रू मैंबर्स की जान पर बन जाती है। यूएस मिलिट्री के अधिकारियों की मानें तो लेजर से अटैक करने की घटना पहले कई बार हो चुकी है। 2017-2018 तक इस तरह की करीब 20 घटनाएं सामने आई थीं। इस तरह की घटना जिबूती में भी सामने आ चुकी है। इस तरह के हमले से कुछ समय के लिए विमान या हेलीकॉप्टर का पायलट देख नहीं पाता है और ऐसे में रास्ता भटकने का भी डर होता है। इसके अलावा आंख में और पूरे शरीर में दर्द की शिकायत भी होती है। अक्सर इस तरह का हमला रास्ता भटकाने के लिए भी किया जाता है। आपको बता दे कि चीन लगातार अपनी विस्तारवादी नीति के तहत आगे बढ़ रहा है। जहां तक दक्षिण चीन सागर की बात है तो यहां पर ये भी बता दें कि ज्यादातर व्यापारिक जहाज इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। यही वजह है कि चीन ने इसका रणनीतिक और व्यापारिक महत्व जानते हुए कब्जा जमाया हुआ है। हालांकि यहां पर उसका अमेरिका से कई बार आमना सामना तक हो चुका है। इस विवादित इलाके को लेकर दोनों देशों के बीच कई बार तीखी बयानबाजी भी हो चुकी है। गौरतलब है कि चीन ने जिबूती में अपना पहला विदेशी नौसैनिक अड्डा बनाया है। यहीं पर अमेरिका का भी नौसैनिक अडडा है।