लकड़ी का विकल्प बनी गोबर की चिता पर्यावरण सुरक्षा में हो रहा कारगर साबित
धनबाद । अंतिम संस्कार में लकड़ी की जगह गोबर से तैयार गोबरी (गोकाष्ठ) का उपयोग पर्यावरण सुरक्षा में कारगर साबित हो रहा है। इससे गोमाता से प्राप्त गोबर की उपयोगिता बढ़ रही है। नागपुर और ग्वालियर की तर्ज पर धनबाद(झारखंड) में भी इसका प्रयोग शुरू हो चुका है। 11 माह पहले अंतिम संस्कार में प्रयोग के तौर पर किया गया गोबरी का इस्तेमाल अब चलन में आ रहा है। धनबाद में 11 माह में 50 दाह संस्कार गोबरी से किए गए हैं। कतरास गंगा गोशाला के संरक्षक सुरेंद्र अग्रवाल बताते हैं कि अंतिम संस्कार में गोबरी को बढ़ावा देने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा और गाय के गोबर का सटीक इस्तेमाल करना है। गोबरी के इस्तेमाल से पेड़ नष्ट नहीं होंगे। दूध नहीं देने वाली गाय के गोबर का भी सही इस्तेमाल होगा।
ऐसे तैयार होती है गोबरी अंतिम संस्कार में गोबरी तेजी से लकड़ी का विकल्प बन रही है। मैनुअल और मशीन के माध्यम से गोबरी को बनाया जाता है। गोबर को मशीन में डालते हैं, जिससे लकड़ीनुमा गोबरी बनकर बाहर निकलती है। मैनुअल गोबरी तैयार करने के लिए ईंट के सांचा में गोबर डालते हैं। 15 दिनों तक उसे सूखने के लिए छोड़ देते हैं। अच्छी तरह से सूखने के बाद गोबरी तैयार हो जाती है। धनबाद के कतरास और बस्ताकोला गोशाला में गोबरी तैयार की जा रही है। अंतिम संस्कार में यह लकड़ी का विकल्प बन रही है।
एक चिता में 300 किलो गोबरी का इस्तेमाल सुरेंद्र अग्रवाल बताते हैं कि अंतिम संस्कार में करीब 500 किलोग्राम लकड़ी की जरूरत पड़ती है, जिसकी कीमत लगभग चार हजार रुपये आती है। लकड़ी के लिए पेड़ काटने पड़ते हैं। जबकि 300 किलोग्राम गोबरी का प्रयोग कर भी चिता बनाई जा सकती है। इसमें तीन हजार से 3300 रुपये का खर्च आता है। ऐसे में पेड़ों को काटने की जरूरत नहीं पड़ती और जो पैसा आता है, उससे करीब 40 गायों के चारे की व्यवस्था हो जाती है। लगभग 50 क्विंटल गोबर से करीब 13 क्विंटल गोबरी तैयार हो जाती है। गोबर के जलने से हानिकारक गैसें भी नहीं निकलतीं। गोबरी के इस्तेमाल से पर्यावरण की सुरक्षा और गोरक्षा दोनों की जा सकती है धनबाद में गोबरी से 50 दाह संस्कार हो चुके हैं। पिछले साल अगस्त में सबसे पहले शिव भगवान अग्रवाल का दाह संस्कार गोबरी से किया गया था। सुरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि दो साल पहले गोशाला की बैठक में गोबरी से दाह संस्कार का सुझाव आया था। पर्यावरण की सुरक्षा और गोमाता की रक्षा के लिए प्रयोग करने का निर्णय लिया गया। अंतिम संस्कार में गोबरी के इस्तेमाल का एक उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा व गोमाता के गोबर का सही इस्तेमाल है। गोबरी से पेड़ की सुरक्षा तो होगी, साथ ही गोबर का भी सही इस्तेमाल होगा।