दुनिया को किस ओर ले जा रहा है ब्रिटेन और रूस का तनाव
रूस के डबल एजेंट सर्गेई स्क्रिपल को जहर देने के मामले में अब नया मोड़ ले लिया है। इसके चलते जहां फ्रांस और जर्मनी रूस के खिलाफ खड़े हो गए हैं वहीं अमेरिका इस मामले में लगातार रूस के खिलाफ आरोप लगा रहा है। फ्रांस और जर्मनी ने इसको ब्रिटेन की संप्रभुता पर हमला बताया है। ब्रिटेन ने यहां तक आशंका जताई है कि रूस ब्रिटेन पर रासायनिक हमला तक कर सकता है। इस मामले के बाद बढ़ी तनातनी में ब्रिटेन ने 23 रूसी राजनयिकों को देश छोड़ने का फरमान सुना दिया है। इसके बाद रूस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए ब्रिटेन के 23 राजनयिकों को निकाल दिया है। रूस ने इसके अलावा मॉस्को स्थित ब्रिटिश काउंसिल और सेंट पीटर्सबर्ग स्थित ब्रिटिश महावाणिज्य दूतावास बंद करने की भी घोषणा की है। ब्रिटिश राजनयिकों को रूस छोड़ने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है। ब्रिटेन और रूस के बीच का तनाव फिर से शीत युद्ध की यादें ताजा करता दिखाई दे रहा है। शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और रूस के बीच तनाव चरम पर था।
अमेरिकी कार्रवाई
अमेरिका ने भी रूस के 19 व्यक्तियों और पांच समूहों पर प्रतिबंध लगा दिया है। प्रतिबंधित समूहों में रूस का खुफिया संगठन एफएसबी और जीआरयू भी शामिल है। प्रतिबंधित लोग और संगठन अमेरिकी नागरिकों, संस्थाओं और कंपनियों से किसी तरह का संबंध नहीं रख सकेंगे। कहा ये जा रहा है कि अमेरिका ने यह कार्रवाई 2016 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में नतीजे प्रभावित करने के लिए रूसी हस्तक्षेप और साइबर अटैक की घटनाओं के लिए की है। लेकिन माना यही जा रहा है रूस पर दबाव बनाने और उसको विश्व बिरादरी में अलग-थलग करने के मकसद से ही अमेरिका ने यह कदम उठाया है। गौरतलब है कि मार्च की शुरुआत में रूस के डबल एजेंट सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया स्क्रिपल सल्सबरी में अचेत पाए गए थे। ऐसी आशंका जताई गई है कि एजेंट के जरिए उनकी जान लेने की कोशिश की गई है। फिलहाल दोनों की हालत नाजुक और स्थिर बताई जा रही है।
कूटनीतिक संबंध खत्म करने की धमकी
रूस के 23 राजनयिकों देश छोड़ने का आदेश देने के साथ ही थेरेसा ने रूस के साथ सभी उच्च स्तरीय कूटनीतिक संबंध खत्म करने को कहा है। उन्होंने रूसी संपत्तियों को भी जब्त करने की बात कही है। वहीं रूस ने साफ कर दिया है कि वह अपने खिलाफ होने वाली किसी भी कार्रवाई का जवाब देगा। थेरेसा ने कहा कि 30 वर्षो में की गई सबसे बड़ी निष्कासन की कार्रवाई से वर्षो से ब्रिटेन में चल रही रूसी खुफिया क्षमताओं में भी कमी आएगी। थेरेसा ने कहा कि जिन 23 राजनायिकों की पहचान रूसी खुफिया अधिकारी के रूप में की गई है उन्हें एक हफ्ते के अंदर देश छोड़ना होगा। उन्होंने रूस के विदेश मंत्री का एक आमंत्रण भी रद्द कर दिया है। साथ ही कहा कि इस साल रूस में होने वाले फीफा वर्ल्ड कप में ब्रिटेन का शाही परिवार शामिल नहीं होगा।
अमेरिका ने फैसले पर दी है सफाई
रूसी समूह पर प्रतिबंध को लेकर अमेरिका ने सफाई देते हुए कहा है कि यह कार्रवाई रूसी सरकार के अधिकारियों और साइबर अटैक करने वाले गिरोहों की अराजकता पैदा करने वाली गतिविधियों के चलते की गई है। हालांकि अभी ये स्पष्ट नहीं किया गया है कि ये प्रतिबंध कितने दिनों तक लागू होंगे। अमेरिका ने यहां तक कहा है कि जिन लोगों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं उनके अमेरिकी आर्थिक तंत्र में घुसपैठ करने की आशंका थी। अमेरिका ने एक बार फिर से अपने यहां हुए राष्ट्रपति चुनाव में रूस का हाथ होने की बात करते हुए कहा कि रूस ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप किया और महत्वपूर्ण स्थलों के साइबर ढांचे पर हमले की कोशिश की। आपको यहां पर बता दें कि चुनाव के बाद हस्तक्षेप की खुफिया रिपोर्ट मिलने पर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने तीन दर्जन से ज्यादा रूसी राजनयिकों को देश से बाहर जाने का आदेश भी दिया था।
ब्रिटेन को सता रहा है डर
ब्रिटेन ने आशंका व्यक्त की है कि रूस ने जिस तरह से डबल एजेंट पर हमला किया है ठीक उसी तरह वह ब्रिटेन पर भी हमला कर सकता है। इसके बाद ब्रिटेन ने नया रासायनिक हथियार रक्षा केंद्र बनाने की घोषणा की है। इस पर 4.8 करोड़ पाउंड (करीब 435 करोड़ रुपये) खर्च होगा। इसके अलावा एंथ्रेक्स से बचने के लिए हजारों ब्रिटिश सैनिकों का टीकाकरण किया जाएगा। ब्रिटेन के रक्षा मंत्री गेविन विलियम्सन ने कहा कि हम रसायन विश्लेषण और रक्षा को अग्रणी बनाने के लिए नया केंद्र बनाए जाएंगे। यह केंद्र मौजूदा पोर्टन डाउन परिसर में बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि न केवल रूस बल्कि कई देशों से रासायनिक हमले का खतरा बढ़ रहा है।
रूसी जासूस को दिए गए जहर की हो रही जांच
आपको बता दें कि पोर्टन डाउन ब्रिटिश सेना का गुप्त अड्डा है जहां पूर्व रूसी जासूस को दिए गए जहर का विश्लेषण किया गया था। इसका आधिकारिक नाम डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी लेबोरेट्री है। इसमें करीब 3,000 वैज्ञानिक काम करते हैं। इसका वार्षिक बजट 50 करोड़ पाउंड है। पहले विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी के गैस हमले से निपटने के लिए 1916 में इसकी स्थापना की गई थी। ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, रासायनिक हथियारों पर प्रतिबंध का पालन करते हुए पोर्टन डाउन में रक्षात्मक प्रकृति का अनुसंधान होता है।
अमेरिका चाहता है रूस के खिलाफ कार्रवाई करे यूएन
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने कहा कि अमेरिका का मानना है कि जासूस पर नर्व एजेंट (घातक रसायन) हमले के लिए रूस जिम्मेदार है। इस अपराध के लिए यूएन सुरक्षा परिषद को कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने चेताया कि अगर ठोस कदम नहीं उठाया गया तो रूस न्यूयार्क (यूएन मुख्यालय) या सुरक्षा परिषद सदस्य देश के किसी भी शहर में रासायनिक हथियार का इस्तेमाल कर सकता है। इस बीच व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने कहा कि अमेरिका इस मामले एकजुटता के साथ ब्रिटेन के साथ खड़ा है। अमेरिका जासूस पर हमले में रूस का हाथ होने के ब्रिटेन की जांच का समर्थन करता है।
रूसी राष्ट्रपति के चुनाव के दौरान उपजा तनाव
रूस के डबल एजेंट का मामला उस वक्त उठ रहा है जब में रविवार को रूस में राष्ट्रपति पद का चुनाव होना है। हालांकि कई देशों द्वारा रूस पर लगाए जा रहे आरोपों के बाद भी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को एक और कार्यकाल मिलने का पूरा चांस है। यहां के लोग पुतिन को पश्चिम के देशों के खिलाफ खड़े होने का श्रेय देते हैं। यह चुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब रूस पर जासूस को जहर देने के के अलावा सीरिया में भी हजारों लोगों की जान लेने का आरोप लग रहा है।
सर्वेक्षण में पुतिन को बढ़त
इस बीच रूस में हुए चुनाव सर्वेक्षण बताते हैं कि 65 वर्षीय पुतिन को शानदार बढ़त है। इस जीत के साथ वह छह साल के एक और कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति बन जाएंगे। इस तरह सत्ता में उनका करीब 25 वर्ष पूरा हो जाएगा। ऐसा करने वाले वह जोसेफ स्टालिन के बाद दूसरे रूसी नेता होंगे। चुनाव प्रचार के दौरान पुतिन ने खुद को शत्रु दुनिया में रूस के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने वाला एकमात्र व्यक्ति बताया है। उनके समर्थक सीरिया में रूस के सैन्य दखल और 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र पर कब्जे को पुतिन की देशभक्ति का प्रमाण मानते हैं। नौ मार्च के चुनाव सर्वेक्षण में पुतिन को 69 फीसद मिले थे। जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार पावेल ग्रुदिनिन को केवल सात फीसद मिले थे। इन सभी के बीच माना ये भी जा रहा है कि कम मतदान पुतिन के मुश्किल पैदा कर सकता है। इसके अलावा पुतिन विरोधी रूसी अल्पसंख्यक उनके खिलाफ मतदान के लिए उतर गए तो उसका भी असर पड़ सकता है। कम मतदान से सत्तारूढ़ दल के भीतर पुतिन के कद को भी नुकसान पहुंच सकता है।