नई दिल्ली। मतगणना से पूर्व हुए चुनाव सर्वेक्षों ने गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत दिला दिया है। सोमवार को सुबह मतगणना शुरू हो जाएगी। दोपहर के भोजन के साथ तस्वीर करीब-करीब साफ हो जाएगी कि दोनों राज्यों में किसकी सरकार बनेगी। दोनों चुनाव में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। वहीं, चुनाव के नतीजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के लिए अग्निपरीक्षा साबित होंगे।
हिमाचल विधानसभा चुनाव का नतीजा उतनी अहमियत नहीं रखता, जितना कि गुजरात का। यह स्थिति भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों पर लागू हो रही है। इसलिए कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय में हिमाचल को लेकर जहां उदासीनता दिखाई पड़ रही है, वहीं भाजपा सरकार बनाने के लिए पहले से अश्वस्त है। कदाचित नतीजे उलट आये तो दोनों ही दलों की प्रतिक्रिया देखने के लायक होगी।
कांग्रेस, भाजपा और देश के रअन्य हिस्से तथा कह सकते हैं दुनिया की निगाह इस समय गुजरात के चुनाव नतीजे पर है। चुनाव नतीजा यदि भाजपा की सरकार बनाता है तब भी इसके कई स्तर के माने होंगे। मसलन् भाजपा को 182 विधानसभा सीटों वाले गुजरात में यदि 130-140 सीटें मिलती हैं तो ईवीएम में गड़बड़ी की आवाज उठनी तय है। बहुत हद तक संभव है कि जनता में भी ईवीएम मशीन को लेकर संदेह गहरा हो जाए। वहीं भाजपा यदि 110 से 120 सीटें लेकर आती है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की कार्यशैली को लेकर सभी नकारात्मकता पर विराम लग जाएगा।
विपक्ष की स्थिति के नाजुक होते जाने का खतरा बढ़ जाएगा
नोटबंदी और जीएसटी पर उठने वाले सवाल खत्म हो जाएंगे। इसका दूरगामी असर भाजपा की भविष्य की राजनीति पर पड़ेगा। कर्नाटक विधानसभा चुनाव समेत अन्य राज्यों के होने वाले चुनाव भी इससे प्रभावित होंगे। कहा जा सकता है कि मोदी और शाह की शैली पर पूरी तरह से मुहर लग जाएगी। विपक्ष की स्थिति के नाजुक होते जाने का खतरा बढ़ जाएगा।
इनसबके बरएक्स भाजपा गुजरात में यदि 92-100 सीटें लेकर आती हैं तो राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ भारतीय राजनीति में हीरो बनकर उभरना शुरू कर देंगे। राजनीति के पंडितों का मानना है कि इससे मोदी सरकार और अमित शाह की भाजपा पर अंदरुनी तथा बाहरी दोनों दबाव बढ़ जाएंगे। राहुल के साथ-साथ अनामत आंदोलन समिति के हार्दिक पटेल गुजरात के बड़े नेता बनकर उभरेंगे। हार्दिक के सडक़ पर संघर्ष का रास्ता खुला रहेगा। 2019 में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव तक उनकी प्रासंगिकता बढ़ जाएगी।
फिर तो बढ़ेगी मुसीबत
कदाचित और जैसी की कांग्रेस को उम्मीद है। हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर, जिग्नेश मेवानी भी इसी उम्मीद के साथ जी रहे हैं। यहां तक कि राहुल गांधी को भी भरोसा है। गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस की वहां सरकार बनेगी। कांग्रेस के अंदरुनी सर्वे के मुताबिक 95 से 105 तक सीटें आ सकती हैं, तो भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की केन्द्र सरकार की परेशानी बढ़ सकती है। सरकार और राजनीतिक दल दोनों को जन सुधार की दिशा में काम, सांसदों, विधायकों, पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं की कद्र बढ़ाने के दबाव का सामना करना पड़ सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा में दबाव बढ़ सकते हैं और उनका कद भी बढ़ सकता है। इसके बरअक्स कदाचित कांग्रेस 110-115 या इससे ऊपर का बहुमत पा गई तो यह काफी अप्रत्याशित होगा।
कांग्रेस के पास खोने को कुछ नहीं
हिमाचल उन राज्यों में हैं जहां एक दल की सरकार दुबारा नहीं लौटती। इसलिए कांग्रेस को खुद सत्ता में लौटने की उम्मीद कम है। यही वजह थी कि हिमाचल को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सीमित समय दिया। गुजरात में 22 साल से भाजपा सत्ता में है। कांग्रेस कभी बहुमत के करीब तक भी नहीं आ सकी और न ही पिछले तीन चुनाव में से किसी में चुनौती देने की स्थिति में रही। दूसरे प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष शाह का गृह राज्य भी है।
न सबके बावजूद 22 साल बाद कांग्रेस पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी ने सत्ता पक्ष को कड़ी चुनौती दी है। पूरे राज्य में हर जगह कांग्रेस लड़ाई में दिखी है। कांग्रेस के लिए बस इतना ही काफी है। यदि वह गुजरात में सरकार नहीं बना पाती तो उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है। क्योंकि राहुल गांधी ने जिस राजनीतिक कुशलता का परिचय दिया है, उसमें वह पप्पू जैसी थोपी जाने वाली छवि को तोड़र बाहर आ गए हैं।
भाजपा कर रही है तैयारी
हिमाचल में पूर्ण बहुमत होने की दशा में प्रेम कुमार धूमल भाजपा के मुख्यमंत्री होंगे। गुजरात में बहुमत मिलने पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, वरिष्ठ नेता पुरुषोत्तम रुपाला और कर्नाटक के 77 साल के राज्यपाल वजूभाई रुदाभाई वाला समेत कुछ अन्य में से किसी के हाथ में सत्ता की चाबी जा सकती है। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी इस दौड़ मेंकाफी पीछे बताए जा रहे हैं। गुजरात में मुख्यमंत्री बनकर जाना अमित शाह की रजामंदी पर निर्भर करेगा। वह प्रधानमंत्री के सबसे विश्वस्त हैं। सूत्र बताते हैं कि कर्नाटक के राज्यपाल से भी कहा गया है कि वह अपनी जरूरी फाइलें निबटा लें।
उन्होंने ही प्रधानमंत्री के लिए अपनी सीट छोड़ी थी। वजूभाई जमीनी नेता हैं। गुजरात को बखूबू समझते हैं। ईमानदार छवि है और प्रधानमंत्री मोदी का उन्हें विश्वास हासिल है। पुरुषोत्तम भाई रुपाला भी प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के साथ अच्छा समीकरण बनाते हैं। माना यह जा रहा है कि गुजरात में इस बार सत्ता की चाबी मिलने पर भाजपा काफी फूंक-फूंककर कदम रखेगी।