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विजय माल्या के प्रत्यर्पण को ब्रिटेन सरकार ने मंजूरी दी

नई दिल्ली। भारतीय बैंकों से लोन लेकर भागे शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण को ब्रिटेन सरकार ने मंजूरी दी गई। माल्या के पास इस प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने के लिए 14 दिनों की मोहलत है। गौरतलब है कि अगस्ता वेस्टलैंड केस में कथित बिचौलिये क्रिश्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण के बाद सरकार के लिए यह दूसरी अच्छी खबर है। ब्रिटेन सरकार के इस फैसले का भारत सरकार ने स्वागत किया है। वहीं केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली ने माल्या के प्रत्यर्पण पर ट्वीट किया है कि, ‘माल्या को लाने के लिए भारत एक कदम और आगे बढ़ गया है।’

लंदन की कोर्ट ने पहले ही दिया था आदेश  इसके पहले दिसंबर 2018 में लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने भी विजय माल्या के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी। भारत में किंगफिशर एयरलाइंस के प्रमुख रहे 63 वर्षीय माल्या पर करीब 9,000 करोड़ रुपयों से भी ज्यादा के घोटाले और मनी लांड्रिंग मामलों में भी लिप्त रहा है।

माल्या के खिलाफ दर्ज है ये केस  शराब कारोबारी विजय माल्या मनी लांड्रिंग और बैंकों से लोन लेकर लोन की रकम दूसरे कामों में खर्च करने के अलावा 9,000 करोड़ रूपयों का लोन वापस न करने के मामले का सामना कर रहा है। फिलहाल माल्या लंदन में रह रहा है। वो अपने खिलाफ सीबीआई के लुकआउट नोटिस को कमजोर किए जाने का फायदा उठाते हुए मार्च 2016 में ब्रिटेन भाग गया था।

ऐसे मिला था किंगफिशर एयरलाइंस को लोन  साल 2004 में आई यूपीए सरकार के समय विजय माल्या की कंपनी किंगफिशर को एयरलाइंस शुरू करने के लिए पहली बार सरकार से लोन मिला। माल्या की कंपनी को दूसरी बार यह लोन साल 2008 में यूपीए सरकार के दौरान ही मिला। दोनों बार के लोन मिलाकर माल्या ने करीब 8040 करोड़ का लोन ले लिया मगर अब भी यह एयरलाइंस नहीं चल सकी जिसका सबसे प्रमुख कारण है कि यह एयरलाइंस एक लग्जरी एयरलाइंस के तौर पर पेश की गई इस लिहाज से किंगफिशर सस्ती उड़ानों को टक्कर नहीं दे पाया और ज्यादा हवाई यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करने में असफल रहा।

साल 2009 में किंगफिशर एयरलाइंस एनपीए घोषित   सरकार ने साल 2009 में सरकार ने इस कंपनी को एनपीए यानी ‘नॉन परफार्मिंग असेट’ घोषित कर दिया। एनपीए का मतलब जब बैंक किसी ऐसी कंपनी कर्ज दे दे जिसकी उगाही करना बहुत मुश्किल हो। लेकिन एनपीए होने के बावजूद यूपीए-दो के वक्त 2010 में सारे कर्ज को दोबारा व्यवस्थित किया गया। इसके बाद भी किंगफिशर के बुरे दिन दूर नहीं हुए वो लगातार नुकसान में ही रही।

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