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ग्रीष्मकालीन नहीं गैरसैंण पूर्णकालीन राजधानी बनेंः यूकेडी, सीएम का पुतला फूंका
देहरादून। त्रिवेंद्र सरकार द्वारा गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन की घोषणा से राज्य आंदोलनकारी व शहीदों का अपमान किया है जिसे उत्तराखंड क्रान्ति दल बर्दाश्त नही करेगा व गैरसैंण को पूर्णकालीन बनने तक चुप नही बैठेगा। नये आंदोलन की रूपरेखा व रणनीति के तहत जनता को लामबद्ध करते हुई आंदोलन करेगा। उक्रांद द्वारा 14 जनवरी 1992 को सरयू नदी के तट पर उत्तरायणी के मेले में उत्तराखंड राज्य का एक ब्लू प्रिंट तैयार करके राज्य की राजधानी वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम पर चंद्र नगर गैरसैंण जो दोनों मंडलों के मध्य स्तिथ को घोषित किया 25 दिसम्बर 1992 को गैरसैंण में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की मूर्ति स्थापित कर पूरे राज्यवासियों ने राज्य की राजधानी स्वीकार की।
राज्य आंदोलन का केंद्र बिंदु गैरसैंण रहा।जिसके लिए 42 शहादतें हुई।लेकिन भाजपानीत उत्तराखंड में त्रिवेंद्र की सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन घोषित कर पहाड़ के साथ धोखा किया है,जिस तरह से राज्य पुर्नगठन विधेयक में 26 संशोधन कर राज्यविरोधी निर्णय लिये अपितु राज्य का नाम उत्तराखंड के बजाय उत्तराँचल रखा आज ऐसे ही गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन घोषित करके राज्य के धारणा के साथ कुठाराघात किया इसका जबाब जनता देगी।भारतीय जनता पार्टी की हमेशा पहाड़विरोधी नीतियां रही है आज स्पष्ट हो चुका है कि त्रिवेंद्र व भाजपा मैदानी क्षेत्रों का हित चाहती है न कि पहाड़ का।उत्तराखंड क्रान्ति दल का स्पष्ट मानना है कि उत्तराखंड पहाड़ी राज्य की राजधानी पहाड़ में होनी चाहिए जहां से विकास की धारा ऊपर से नीचे की ओर बहे,पहाड़ का विकास हो जिसके लिये राज्य मांगा था। पहाड़ी क्षेत्रों में रोजगार के नए आयाम खुले व होने वाले पलायन को रोका जा सके। पहाड़ के अंतिम व्यक्ति का सर्वांगीण विकास हो।इसलिए गैरसैंण को राज्य की राजधानी का संकल्प उक्रांद द्वारा किया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा को दल स्वीकार नही करेगा।गैरसैंण को पूर्णकालीन राजधानी बनाने के लिये एक बार पुनः नयी लड़ाई को जनता के बीच मे जाकर पहाडविरोधी भाजपा की कथनी करनी की पोल खोलेगा। भाजपानीत त्रिवेंद्र की गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा से स्पष्ट हो चुका है कि यह पिकनिक मनाने के लिय किया गया है पहाड़ के विकास से कोई मतलब नही रहा। पुतला दहन महानगर अध्यक्ष सुनील ध्यानों के नेतृत्व में किया गया।कार्यक्रम में त्रिवेंद्र सिंह पंवार,लताफत हुसैन, रेखा मियां, डी के पाल,विजय बौड़ाई,प्रताप कुंवर,जयदीप भट्ट,राजेन्द्र बिष्ट,प्रेम पडियार,अजित बर्तवाल,उत्तम रावत,गुलबहार,गीता बिष्ट,जाहिद खान,अनिल डोभाल,धर्मेंद्र कठैत,अनिल डोभाल,गिरीश मेंदोला,बृजकिशोर थपलियाल