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नवजोत सिंह सिद्धू को अपने ही राज्य में हुई रैली में दरकिनार किए जाने से राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म

चंडीगढ़। कुछ माह पहले पांच राज्यों के चुनाव में सबसे ज्यादा मांग में रहने वाले स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को अपने ही राज्य में हुई रैली में दरकिनार किए जाने से राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। मोगा में कांग्रेस की कर्ज राहत रैली में स्टेज पर मौजूद होने के बावजूद सिद्धू को बोलने का अवसर नहीं दिया गया। रैली में राहुल गांधी के अलावा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पार्टी के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ही बोले, जबकि स्टार प्रचारक सिद्धू को बोलने का मौका नहीं दिया गया। सिद्धू इससे नाराज बताए जाते हैं। उनका कहना है कि लगता है मैं अच्छा वक्ता नहीं हूं और न ही अच्छा प्रचारक हूं। उन्होंने कहा कि मुझसे संबोधन करवाया जाना है या नहीं, यह तय करना मेरा नहीं पार्टी का काम है, लेकिन मुझे बोलने का मौका न देकर पार्टी ने मुझे मेरी जगह बता दी है।

रैली में चार वक्ताओं ने ही बोलना था : जाखड़  इस संबंध में पार्टी के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा कि सिद्धू को वक्ता के रूप में होना चाहिए था, लेकिन मुझे लगता है कि पार्टी के स्तर पर अनदेखी हो गई है। जब राहुल ने मुझसे पूछा कि क्या सभी बोल चुके हैं तो मैंने कहा कि वह तो उनके साथ ही आए हैं। यह समारोह सहकारिता विभाग ने आयोजित किया था। इसमें सहकारी बैंकों की ओर से किसानों के माफ किए गए कर्ज के चेक देने थे। विभाग के मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ही स्टेज को संभाले हुए थे। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब प्रभारी आशा कुमारी ने मुझे बताया कि केवल चार वक्ता ही बोलेंगे, क्योंकि राहुल गांधी को कांगड़ा में एक अन्य रैली में जाना है। उन्होंने कहा कि सिद्धू पार्टी के स्टार प्रचारक हैं और मेरे साथ उनके अच्छे संबंध हैं।

सिद्धू का पार्टी लाइन से विपरीत चलना नहीं आ रहा रास  सिद्धू पिछले कुछ समय से ही पार्टी लाइन के विपरीत चल रहे हैं जो कि पार्टी को रास नहीं आ रहा है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के मना करने के बावजूद उनका पाकिस्तान जाने का फैसला, पुलवामा हमले के बाद उनका यह कहना कि आतंकवाद का कोई देश, जाति और धर्म नहीं होता आदि ऐसी घटनाएं हैं जिनके कारण पार्टी में ही उनका काफी विरोध हुआ है। इन सभी के बीच यह पहला मौका था जब सीनियर लीडरशिप के बीच उन्हें बोलने का मौका मिलना था, लेकिन उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया।

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