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नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को लेकर जारी भारी विरोध के चलते असम के दस जिलों में 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया, गुवाहाटी में कर्फ्यू लगाया गया

गुवाहाटी । नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को लेकर जारी भारी विरोध के बीच असम के दस जिलों में 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा गुवाहाटी (Guwahati) में कर्फ्यू लगा दिया गया है।राज्य सरकार के अधिकारियों के कहा कि आसम में शांति भंग करने में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित किया जा रहा है।

10 जिलों में इंटरनेट सेवा निलंबित  अतिरिक्त मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्ण द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, लखीमपुर, धेमाजी, तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, चरसदेव, शिवसागर, जोरहाट, गोलाघाट, कामरूप (मेट्रो) और कामरूप में इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहेंगी।

अफवाहें फैलने की आशंका  अधिसूचना ने कहा गया है कि विरोध प्रदर्शन को भड़काने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर और यू-ट्यूब आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके जरिए फेटो-वीडियो शेयर कर अफवाहें फैलाने की आशंका को लेकर इंटरनेट सेवाओं को निलंबित किया जा रहा है।

और तेज हो सकता है विरोध प्रदर्शन  इसमे आगे कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और इस तरह के विरोध प्रदर्शन तेज होने की संभावना है जो कानून व्यवस्था की स्थिति को खराब कर सकते हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ऐसी खबरें हैं कि प्रदर्शनकारी बर्बरता में भी शामिल हैं, जिससे राज्य में गंभीर कानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना है।

प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प  नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लोकसभा द्वारा पारित किए जाने के बाद असम के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शनों के साथ तोड़फोड़ की घटनाए भी हुई हैं। नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी असम की सड़कों पर उतरे हैं। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प की भी खबरे सामने आ रही हैं। कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और कुछ जगहों पर लाठी चार्ज भी किया।

किसको मिलेगी नागरिकता  बता दें कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019, पहले ही लोकसभा में पास हो गया है। इसके अनुसार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले हिंदुओं, ईसाइयों, पारसियों, जैनियों, बौद्धों और सिखों को नागरिकता देने का प्रस्ताव है।

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