Uttarakhand
फिर शर्मसार हुई क्षेत्रवाद की राजनीति
एक बार फिर महाराष्ट्र में राजनीति शर्मशार हो गई है। एक छोटी सी घटना पर अपनी छिछोरी, असभ्यता और बदले की भावना ने शिवसेना के नेताओ को कटघरे में ला खड़ा किया है। भारतीय सभ्यता रोती रही, संविधान सिसकता रहा और महाराष्ट्र ने सभी बाध्यताओं को तार तार कर अपना बदला लेकर ही चैन लिया। कहाँ गयी वो हिन्दू संस्कार की बाल साहेब की नीति।कहां गयी वो संविधान की कसम और वरिष्ठ नेताओं का मार्गदर्शन? सब कुछ मिट्टी में मिला दिया छिछोरों ने। बता दिया कि शिवसेना को छेड़ने वाले का क्या हश्र होगा आपनी मुम्बई में। ऐसी प्रथा स्थापित की गई कि दूसरे प्रदेशों में रह रहे और रोजगार करने वाले भारतीय हिल गए। कही यह आगामी राजनीतिक खेल का ट्रेलर तो नही? सभी लोग कोविड 19 के भय से उभर नही पा रहे हैं, चारो तरफ रोजगार के लिये मारा मारी है, विश्व मे सरकारी व्यवश्था कम पड रही है और मुम्बई सहित भारत के अनेक भाग बाढ़ की त्रासदी झेल रहे है ऐसे में महाराष्ट्र सरकार अपने कर्तव्यों को भूलकर एक नारी के सम्मान और स्वाभिमान को चूर चूर करने में लगी हुई है। केंद्र सरकार ने सुरक्षा देकर मरहम पट्टी तो कर दी , न्याय पालिका ने अपना आदेश देकर इति श्री कर दी लेकिन क्या इससे महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री की मानसिकता बदल जाएगी।क्या संजय रॉउत जैसे लोगो की जबान और जिद्द पर ताला लग जायेगा? महाराष्ट्र सरकार ने सविधान की शपथ लेकर अपने नागरिकों की सुरक्षा करने, निष्पक्ष कार्य करने और नारियों के सम्मान की रक्षा का वचन दिया था यहाँ संविधान की अवहेलना कर देश को लज्जित किया गया है। जनसेवक के द्वारा आचार सहिता का उल्लंघन किया गया है। केंद्र सरकार और न्याय पालिका को तुरंत संज्ञान लेते हुए महाराष्ट्र सरकार को पदच्युत कर राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिये जिससे अन्य सरकारों को भी सबक मिल सके। देश मे क्षेत्रीय राजनीति ने राष्ट्रवाद को पीछे छोड़ते हुए देश को क्षेत्र वाद के तंत्र में फसा दिया है। देश की जनता समझ रही है। देश बदल रहा है। अपने को सर्वश्व मानने वालो को भी बदलना होगा वरना जनक्रांति उन्हें उखाड़ फेंकेगी। नागरिकों को भी अपने देश की छवि को प्रभावित करने वाले बयान देते समय गंभीरता दिखानी चाहिए। सरकार की आलोचना करिए यह आपका अधिकार है लेकिन अपनी मातृभूमि भारत के लिये सम्मान पूर्वक व्यवहार बनाय रखे।
लेखकः-ललित मोहन शर्मा