दिल्ली हिंसा के बाद एक बार फिर मुंगेर में निर्मित अवैध हथियारों के बाजार और नेटवर्क ने पुलिस की उड़ाई नींद
भागलपुर, संजय सिंह। दिल्ली हिंसा के बाद एक बार फिर मुंगेर में निर्मित अवैध हथियारों के बाजार और नेटवर्क ने पुलिस के कान खड़े कर दिए हैं। मुंगेर पहले से ही अवैध हथियारों के निर्माण और तस्करी के लिए बदनाम रहा है। हाल ही में दिल्ली हिंसा के एक आरोपित शाहरुख की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने पर्दाफाश किया था कि उसने कांस्टेबल पर 7.65 बोर की जो पिस्टल तानी थी, वह मुंगेर निर्मित थी। उसने दो साल पहले मुंगेर की एक हथियार फैक्ट्री के कर्मी से पिस्टल खरीदी थी। दिल्ली की स्पेशल सेल ने पहले भी मुंगेर निर्मित हथियार बरामद किए हैं। बेहतर गुणवत्ता और कम कीमत और आसान उपलब्धता के कारण यहां के हथियारों की मांग देश के विभिन्न हिस्सों में है।
दिल्ली में पहले भी पकड़े गए हैं हथियार 19 जुलाई 2013 में दिल्ली पुलिस ने मुंगेर के हथियार तस्कर निरंजन मिश्रा और फिरोज आलम को 99 पिस्टल व 198 मैगजीनों के साथ पकड़ा था। जून 2014 में दिल्ली पुलिस ने मुंगेर में बनी एक एके 47 व 30 सेमी ऑटामेटिक पिस्टलें पकड़ी थीं। तस्करों की योजना दिल्ली में ही अवैध हथियार की फैक्ट्री लगाने की थी, लेकिन वे पकड़े गए। इसके बाद, नौ अक्टूबर, 2014 को दिल्ली पुलिस ने मेरठ में अवैध हथियार की फैक्ट्री का भंडाफोड़ करते हुए पांच लोगों को पकड़ा। इनके पास से 84 सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल, पांच गोलियां और 40 मैगजीन सहित कई अद्र्धनिर्मित हथियार बरामद किए गए।
अन्य राज्यों में भी है नेटवर्क मुंगेर के अवैध हथियारों का बाजार दिल्ली ही नहीं, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र तक मिला है। कुछ दिनों पूर्व बांग्लादेश में एक आतंकी हमले के दौरान वहां की जांच एजेंसी ने इस बात का खुलासा किया था कि वारदात में जिन हथियारों का इस्तेमाल किया गया है, उन्हें मुंंगेर में ही एसेंबल किया गया है। झारखंड और छत्तीसगढ़ के नक्सलियों के पास मिले हथियारों से भी पता चला है कि इन्हें भी मुंगेर में तैयार किया गया था। जबलपुर आयुध फैक्ट्री से गायब हुई एके 47 भी मुंगेर में मिली थी। मामले में एनआइए जांच कर रही है।
अवैध हथियारों के निर्माण का है पुराना इतिहास मुंगेर में हथियार निर्माण का काम आजादी से पहले शुरू किया गया था। तब यहां मीरकासिम के जमाने में अफगानिस्तान के कारीगरों ने यहां के लोगों को हथियार बनाने का प्रशिक्षण दिया था। बंदूक निर्माण कंपनी फाइवर एंड को के मालिक सौरभ निधि का कहना है कि इस अवैध धंधे में बंदूक फैक्ट्री के कारीगरों का हाथ नहीं है। यहां 36 फैक्ट्रियों को बंदूक निर्माण का लाइसेंस है, लेकिन वर्तमान समय में पांच ही फैक्ट्रियां चल रही हैं। इन फैक्ट्रियों में सिर्फ बंदूकें तैयार होती हैं। कुछ लोग अवैध फैक्ट्रियों में अन्य हथियारों का निर्माण करते हैं।
डीआइजी मनु महाराज ने कही ये बात इस संबंध में मुंगेर डीआइजी मनु महाराज का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने शाहरुख के पास मिले हथियारों के मामले में मुंगेर पुलिस को अब तक कोई जानकारी नहीं दी है। पुलिस कार्रवाई की वजह से हथियार तस्कर अब पश्चिम बंगाल के इलाकों में अवैध हथियार का निर्माण करते हैं, लेकिन इनकी असेंबलिंग मुंगेर में होती है। मुंगेर पूर्व से ही हथियारों की तस्करी के लिए बदनाम रहा है। पुलिस की इस पर नजर है।