बागपत के गांव अब्दुलपुर में हिन्दू समाज ने भाईचारे की मिसाल की कायम,कराया गुलफसा का निकाह, ब्राह्मण दंपती ने किया कन्यादान
बागपत। नफरत की फसल उगाने के मंसूबे बांधने वाले चाहे जितनी कोशिश कर लें लेकिन इंसानियत के गुलशन से तो मोहब्बत की खुश्बू ही आती है। बागपत के गांव अब्दुलपुर में हुआ एक युवती का निकाह भाईचारे की ऐसी ही मिसाल है। पिता 28 साल से लापता हैं और घर की माली हालत खराब। ऐसे में बेटी की शादी करना बड़ा सवाल था लेकिन गांव का पूरा हिंदू समाज साथ खड़ा हुआ तो देखते-देखते लाखों की रकम एकत्र हो गई। ब्राह्मण दंपती ने कन्यादान की रस्म पूरी की तो अन्य लोग बरात की खातिरदारी में जुट गए। यह किसी बेटी की शादी में सहयोगभर नहीं था। एक तरफ यह महजबी खाई खोदने वालों के लिए सबक था तो दूसरी तरफ इंसानियत का कबूलनामा भी। गुलफसा खुशी-खुशी ससुराल रुख्सत हुई तो सबकी आंखें छलक पड़ीं।
रोजी की तलाश में गया था पिता अब्दुलपुर निवासी जुम्मा के अनुसार, उनका पुत्र बाबू खां रोजगार के सिलसिले में 28 साल पहले बाहर गया था लेकिन आज तक नहीं लौटा। बताते हैं कि पिछले दिनों बाबू की बेटी गुलफसा का निकाह तय किया था। बस यही चिंता थी…निकाह कैसे होगा, क्या होगा। बात गांव में पहुंची तो गंगेश्वर शर्मा का परिवार आगे बढ़ा और गुलफसा को बेटी जैसा मान दिया।
बरात की आवभगत में जुटा पूरा गांव गाजियाबाद की पूजा कालोनी निवासी अय्यूब रविवार को बरात लेकर गांव पहुंचा तो पूरा गांव आवभगत में जुट गया। पं. गंगेश्वर शर्मा ने हिंदू समाज के माध्यम से लाखों रुपये की रकम जुटाई। गंगेश्वर शर्मा और उनकी पत्नी कांता देवी ने गुलफसा का कन्यादान किया। गुलफसा के भाई शाकिर के अनुसार, 150 लोगों को भोजन कराया गया। हसनपुर मसूरी की मस्जिद के मौलवी कारी मोहम्मद ने निकाह पढ़वाया। नव विवाहित युगल को बेड, सोफा, फ्रिज, वाङ्क्षशग मशीन, कूलर आदि गृहस्थ का सामान दिया।
बोले ग्रामीण…
गंगेश्वर कहते हैं, धर्म से क्या फर्क पड़ता है। उन्होंने एक पिता की तरह बेटी की शादी करने का धर्म पूरा किया है। कांता देवी कहती हैं, पति के फैसले में वह बराबर की भागीदार रहीं। वे खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। अति कुमार त्यागी बताते हैं जुम्मा के परिवार को हिंदू अपना परिवार मानते हैं। देवेंद्र शर्मा बताते हैं कि उनके परिवार ने जुम्मा के परिवार को रहने के लिए छत दी थी। बेटी की शादी कराकर वे काफी खुश हैं। अब्दुलपुर के लोगों ने यह पहल करके हिन्दू -मुस्लिम भाईचारे की मिसाल कायम की है। सभी को आपसी भेदभाव भूलकर इसी तरह एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए।