आखिर धोखेबाज किस्मत को भी ऐमी से हार माननी ही पड़ी
चंडीगढ़। कुदरत ने नाइंसाफी की तो किस्मत ने कदम-कदम पर जमकर धोखा दिया। …लेकिन ऐमी ने हार नहीं मानी। कुदरत और किस्मत को धता बता आज वह अपना मुकाम पा चुकी है। चंडीगढ़ निवासी दिव्यांग ट्रांसजेंडर ऐमी चौहान के कठिनतम संघर्ष और निर्णायक सफलता की यह प्रेरक कहानी हर किसी को जीने के हौसले से भर सकती है।
हर कदम पर मुुसीबतों का सामना करने के बाद भी ऐमी ने हार नहीं मानी ऐमी के साथ कुदरत के मजाक और तकदीर का खेल उसके जन्म के कुछ दिन बाद ही शुरू हो गया था। मां की कोख से उसने बेटे के रूप में जन्म लिया, लेकिन जल्द ही पता चला कि यह लड़के के रूप में लड़की है। कुदरत के इस घालमेल ने मेल-फीमेल के बजाय एक ट्रांसजेंडर की पहचान दे दी। इसके बाद शुरू हुआ समाज का तमाशा। समाज उसे अपनाना को तैयार न था। इसके बाद किस्मत ने भी कोई मुरव्वत नहीं की। बचपन में ही पिता का देहांत हो गया। सात साल की उम्र में थोड़ा होश संभाला तो एक हादसे में दोनों पैर कट गए। इसके बाद ऐमी 85 प्रतिशत तक विकलांग हो गई। न तो खुद की कोई पहचान थी और न ही शरीर ने इस काबिल छोड़ा कि सिर उठाकर कुछ कर सके। उसके बाद भी आज खुद के साथ दूसरों के लिए मसीहा बनकर काम कर रही हैं ऐमी चौहान। खुद का जीवन बेहतर तरीके से चलाने के साथ दूसरों को भी रोजगार देने का काम कर रही हैं। ऐमी का जन्म उत्तरप्रदेश के कानपुर में हुआ। पिता का देहांत बचपन में होने के बाद खुद को पेट पालने के लिए पैसे तक नहीं थे। दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद पहले भीख मांगना शुरू किया, लेकिन लोगों ने ऐमी का सहयोग दिया। किसी अनजान ने ऐमी को बताया कि अच्छा काम करके भी सफलता मिल सकती है। ऐसे में ऐमी ने पढ़ाई के साथ-साथ थिएटर में काम करना शुरू कर दिया। दोनों टांगें न होने के बावजूद ऐमी ने नृत्यकला में निपुणता हासिल कर ली। यह दुस्साहस दिखा उसने किस्मत को पहली पटखनी तब दी जब स्टेट शो करने का मौका पाया। लोग इस करतब को देख हैरान हो उठे। इसके बाद ऐमी ने किस्मत को दूसरी पटखनी तब दी, जब इंटरनेशनल बिजनेस में एमबीए पूरा कर दिखाया।
धोखेबाज बनी किस्मत अब बैकफुट पर थी और ऐमी फ्रंटफुट पर। ऐमी की योग्यता को देख मल्टीनेशनल कंपनी ने नौकरी की पेशकश की। इस तरह ऐमी ने अपना वह मुकाम पा ही लिया, जिसे देने में कुदरत और किस्मत ने मुंह फेरा था। एक से अधिक कंपनियों में कार्य अनुभव हासिल कर ऐमी अपने पेशे में जम गईं। लेकिन वह यहीं नहीं रुकीं बल्कि उन लोगों की मददगार बन बैठीं, जो किस्मत के सताए हुए थे। ऐमी ने जहां पर भी काम किया वहां पर ट्रांसजेंडर के अलावा दिव्यांगों को नौकरी दिलाने का काम किया। ऐमी फिलहाल एक प्रतिष्ठित होटल में चीफ सर्विस एसोसिएट के तौर पर काम कर रही हैं। यहां पर भी वह जरूरतमंद युवाओं को नौकरी दिलाने का काम करती हैं। उन्होंने बताया कि नौकरी के अलावा कई लोगों को पढ़ाई के लिए भी पैसों की जरूरत होती है। कई कंपनियां पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप देती हैं। मैं उनका नि:शुल्क प्रचार करती हूं और सैकड़ों युवाओं तक पहुंचकर उन्हें नौकरी दिलाने का प्रयास करती हूं।