जिन इस्लामिक देशों के संगठन के दम पर पाकिस्तान इतराता, उस संगठन के ज्यादातर देश तो हैं भारत के साथ
नई दिल्ली । जम्मू कश्मीर पर केंद्र सरकार के फैसले से बौखलाए पाकिस्तान को भारत पूरे विश्व में अलग-थलग करने की मुहिम में जुट गया है। पाकिस्तान इस मसले को लगातार अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की कोशिश में विफल होता रहा है। इसका जीता जागता सुबूत हाल में हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक है, जिसमें पाकिस्तान ही नहीं चीन को भी मात खानी पड़ी। आपको बता दें जब से केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छे 370 को खत्म कर उसको दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का फैसला लिया है तब से पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इसको लेकर पाकिस्तान की संसद में संयुक्त सदन की आपात बैठक भी बुलाई गई और तीखी चर्चा भी हुई। इस बैठक का लब्बोलबाब एक था कि भारत के फैसले की इस्लामिक देश मिलकर निंदा करें। लेकिन पाकिस्तान यहां पर भी कामयाब नहीं हो पाया। भारत इस्लामिक देशों के सहयोग संगठन (OIC) पर काफी इतराता है। लेकिन, इसके भी कुछ देश भारत के साथ हैं। इनमें यूएई, बहरीन, सऊदी अरब शामिल हैं। वहीं भारत की बात करें तो वैश्विक मंच पर उसको अलग-थलग करने के बाद अब अगला पड़ाव इसी संगठन के देश हैं। प्रधानमंत्री मोदी खुद इस मिशन पर निकलने वाले हैं।
फ्रांस, यूएई और बहरीन जाएंगे पीएम मोदी इस मिशन के तहत वह 22 से 26 अगस्त के बीच फ्रांस के साथ संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन भी जाएंगे। मौजूदा कूटनीतिक परिदृश्य में उनकी इस यात्रा को अहम माना जा रहा है। अहम इसलिए क्योंकि ये दोनों देश आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉर्पोरेशन (Organisation of Islamic Cooperation) के सदस्य है। पाकिस्तान इस संगठन को लेकर काफी इतराता भी है। गौरतलब है कि यूएई ने अनुच्छेद 370 हटाने को भारत का अंदरूनी मामला मानते हुए इसका स्वागत किया था। यूएई की बात करें तो वह भारत का टॉप एक्सपोर्ट और इंपोर्ट डेस्टिनेशन भी है। इतना ही नहीं बीते कुछ दशकों में दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध बेहद मजबूत हुए हैं। इसके अलावा करीब 30 लाख भारतीय इस देश में रहते हैं, जो यहां के विकास में योगदान दे रहे हैं। मार्च 2018 में यूएई के पीएम की अपील पर भारतीय तट रक्षक बल ने एक नौका को इंटरसेप्ट कर उन्हें इसकी जानकारी दी थी। इसके अलावा पिछले वर्ष अगस्त 2018 में केरल में आई बाढ़ में यूएई ने वित्तीय मदद कर राज्य को बिगड़े हालात से उबारने में मदद की थी। पीएम मोदी 2015 में भी यूएई जा चुके हैं।
बेहद खास है फ्रांस और बहरीन वहीं फ्रांस भारत के प्रमुख रणनीतिक सहयोगी के तौर पर उभरा है और कश्मीर के मुद्दे पर भी भारत का मुखर समर्थन किया है। आपको बता दें कि पीएम मोदी पहले ऐसे भारतीय प्रधानमंत्री हैं जो बहरीन की यात्रा पर जाने वाले हैं। बहरीन की बात करें तो जम्मू कश्मीर के मसले पर वह भी पाकिस्तान से अलग सोच रखता है। यही वजह है कि ईद के दिन बहरीन की सरकार ने वहां पर भारत के खिलाफ बयानबाजी करने वाले पाकिस्तानी संगठनों और लोगों को प्रतिबंधित कर दिया था। इतना ही नहीं बहरीन के आंतरिक मंत्रालय ने इन लोगों पर मामला भी दर्ज किया जिन्होंने भारत के खिलाफ नारेबाजी की थी। बहरीन का कहना है कि ईद समेत किसी भी धार्मिक पर्व का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए नहीं किया जा सकता है।
भारत का करीबी सहयोगी है बहरीन बहरीन न सिर्फ भारत का करीबी सहयोगी देश है बल्कि वह ओआईसी का ऐसा देश भी है जो भारत की सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट का समर्थन करता रहा है। वहीं भारत 2026-27 के लिए संयुक्त राष्ट्र में अस्थायी सीट के लिए बहरीन का समर्थन कर रहा है। बहरीन पहले से ही भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का अहम देश बताता रहा है। इतना ही वह इस बात को मुखर रूप से कहता रहा है कि भारत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मसलों को सुलझाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। बहरीन और भारत के मजबूत रिश्तों को इस बात से भी समझा जा सकता है कि ईरान पर बढ़ते प्रतिबंधों और इसके चलते आई समस्याओं के निदान के लिए बहरीन के क्राउन प्रिंस ने भारत से मामले को सुलझाने की अपील तक की थी।
बहरीन से दशकों पुराने हैं संबंध बहरीन के भारत से संबंध कुछ वर्षों से नहीं बल्कि दशकों से है। बात चाहे बहरीन के जानेमाने कवि इब्राहिम अल अरायध की हो जो मुंबई में ही पले बढ़े थे, या फिर 17वीं शताब्दी के शेख सलीह अल कारजाकानी या शेख जफर बिन कमाल अल दिन की हो जो गोलकुंडा की जानी मानी हस्ती थे, सभी के दौर में दोनों देशों के संबंध मजबूत रहे हैं। दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को एक अन्य उदाहरण से भी समझा जा सकता है। नवंबर 2009 को सामने आए यूएस डिप्लोमेटिक केबल के मुताबिक तत्कालीन किंग हमाद बिन इसा अल खलीफा ने अमेरिका से अफगानिस्तान में भारत से मदद लेने की अपील की थी। हमाद फरवरी 2014 में भारत आए थे तो करीब 450 मिलियन डॉलर के सौदों पर एमओयू साइन किए गए थे। आपको यहां पर ये भी बता दें कि बहरीन में करीब साढ़े तीन लाख भारतीय रहते हैं। ओआईसी का सदस्य देश सऊदी अरब पहले ही भारत में सबसे बड़े निवेश की घोषणा कर चुका है।