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जबरदस्त चुनावी शिकस्त के बाद कांग्रेस में अंदरूनी हलचल

नई दिल्ली। चुनावी शिकस्त के बाद जबरदस्त अंदरूनी हलचल का सामना कर रही कांग्रेस की चुनौती राहुल गांधी के रुख को देखते हुए फिलहाल थमती नहीं दिख रही। पार्टी नेताओं के आग्रह के बावजूद राहुल कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने के अपने इरादों को बदलने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। राहुल ने कांग्रेस नेताओं को एक बार फिर साफ संदेश दे दिया है कि पार्टी को नये अध्यक्ष का विकल्प तलाश लेना चाहिए। वहीं राहुल की नजीर के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों में भी हार की जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा देने का क्रम भी तेज हो गया है। पार्टी की हार की तह तक जाने की सूबों में आवाज भी उठने लगी है। इस तरह लोकसभा की चुनावी हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश के बाद कांग्रेस का संकट बढ़ गया है। उन्होंने बैठक मे ही परोक्ष रूप से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और पी चिदंबरम की भूमिका पर असंतोष और रोष जताया था और कहा कि इन नेताओं ने पार्टी की बजाय परिवार पर ज्यादा ध्यान दिया। यही कारण है कि राहुल अपने इस्तीफे पर अड़े हैं।

पार्टी मौजूदा हालत में राहुल का विकल्प तलाशने के लिए अभी तैयार नहीं दिख रही तो राज्यों के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों पर भी नैतिक जिम्मेदारी लेने का दबाव बढ़ता जा रहा है। कार्यसमिति द्वारा इस्तीफे की पेशकश खारिज किए जाने के बाद भी राहुल पद छोड़ने पर अडिग हैं और कांग्रेस नेताओं के लिए इस विकट हालात से निपटना आसान नहीं हो रहा। राहुल अपने रुख पर दृढ़ता दिखाने के लिए ज्यादा लोगों से मिल भी नहीं रहे। इसीलिए पार्टी नेताओं की तरफ से सोमवार को वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल ने राहुल गांधी से मुलाकात की। बताया जाता है कि इन दोनों ने राहुल से इस्तीफा वापस लेने की पार्टीजनों की भावना को देखते हुए उनसे अपना इरादा बदलने का आग्रह किया। मगर राहुल ने इन्हें स्पष्ट कर दिया कि वे अपना इरादा तय कर चुके हैं और पार्टी को नये अध्यक्ष का विकल्प तलाशना चाहिए। हालांकि अहमद पटेल ने ट्वीट कर कहा कि कार्यसमिति की बैठक से पहले ही उन्होंने कांग्रेस अघ्यक्ष से रूटीन प्रशासनिक कामकाज के मसले पर चर्चा के लिए समय मांगा था। सोमवार की मुलाकात इसी संदर्भ में हुई थी। इस बैठक को लेकर जो भी अटकले लगाई जा रही हैं वह गलत और आधारहीन हैं। पार्टी कार्यसमिति की शनिवार की बैठक में इस्तीफे की पेशकश के साथ राहुल ने यह भी संदेश दे दिया था कि पार्टी के नये अध्यक्ष के लिए गांधी परिवार के बाहर के चेहरे के विकल्प पर ही कांग्रेस को गौर करना होगा। इस तरह अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को अध्यक्ष बनाने की कांग्रेस नेताओं की किसी पहल पर उन्होंने पहले ही ब्रेक लगा दिया। राहुल के रुख के बाद पार्टी की दोहरी चुनौती राज्यों में स्थानीय नेतृत्व की जवाबदेही को लेकर उठाए जाने वाले सवाल हैं। कांग्रेस कार्यसमिति में सूबे के दिग्गजों की भूमिका पर राहुल के तीखे सवालों के बाद राजस्थान में तो दो मंत्रियों रमेश मीना और उदयलाल अंजना ने सूबे में पार्टी के सफाए की गहरी पड़ताल की खुली वकालत की है। ताकि कांग्रेस को आगे आने वाले चुनावों में ऐसी खराब स्थिति का सामना नहीं करना पड़े। झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डा अजय कुमार ने भी सूबे में पार्टी के दयनीय प्रदर्शन के बाद अपना इस्तीफा हाईकमान को भेज दिया है। पंजाब कांग्रेस के प्रमुख सुनील जाखड़ ने सूबे में पार्टी के अच्छे प्रदर्शन के बावजूद गुरूदासपुर में अपनी हार के मद्देनजर इस्तीफा दे दिया है। असम कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने भी त्यागपत्र नेतृत्व को भेज दिया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजबब्बर और ओडिसा के पार्टी अध्यक्ष निरंजन पटनायक पहले ही इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं।

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