पवार-ममता-मायावती विपक्षी राजनीति की धुरी बनने की दौड़ में शामिल
नई दिल्ली। विपक्षी राजनीति की धुरी बनने की दौड़ में शामिल तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी अब तमाम दूसरे क्षेत्रीय क्षत्रपों को साधने की कोशिश करेंगी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का अगले हफ्ते दिल्ली दौरा इस लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस की ओर से मिले संकेतों से साफ है कि भविष्य की सियासत के मद्देनजर ममता अब बसपा और सपा से लेकर एनसीपी जैसे अहम माने जा रहे दलों के शीर्ष नेताओं से सीधे रूबरू होने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगी। भाजपा-एनडीए को सत्ता में आने से रोकने के लिए किसी गैर-भाजपा-संघ के चेहरे को प्रधानमंत्री बनाने का विकल्प खुला रखने के कांग्रेस के साफ संकेतों के बाद टीएमसी की सक्रियता बीते दो दिनों में काफी बढ़ गयी है। सूत्रों के अनुसार दिल्ली में टीएमसी के रणनीतिकार शरद पवार, ममता मायावती से लेकर सपा के नेतृत्व से संपर्क कर रहे हैं और माना जा रहा कि अगले हफ्ते राजधानी प्रवास के दौरान दीदी इनमें से कुछ नेताओं से सीधे रूबरू होंगी। टीएमसी की ओर से कहा तो यह जा रहा कि विपक्षी नेताओं को अपने कोलकाता के बड़े सियासी आयोजन का न्यौता देंगी मगर राजनीतिक हलकों में इसे दीदी की विपक्षी नेतृत्व के लिए पेशबंदी की तैयारियों के रुप में भी देखा जा रहा है। ममता की कांग्रेस नेताओं के साथ भी बातचीत होगी और इसी दौरान राज्यसभा के उपसभापति पद के चुनाव को लेकर भी उनसे चर्चा की जाएगी।
उपसभापति पद एनडीए की झोली में जाने से रोकने की रणनीति के तहत कांग्रेस ने अपना दावा छोड़ते हुए इस बार तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार का समर्थन करने का मन बना लिया है। टीएमसी प्रमुख से उनके पसंद के उम्मीदवार पर निर्णायक चर्चा होने की पुख्ता संभावना है। वैसे विपक्षी खेमे की सक्रियता केवल ममता बनर्जी तक ही सीमित नहीं रह गई है।बसपा प्रमुख मायावती और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के बीच 2019 के सियासी संग्राम की विपक्षी रणनीति को लेकर बुधवार को लंबी चर्चा का एक दौर हो चुका है। इसी तरह यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी मानसून सत्र के आखिरी दिनों में विपक्षी खेमे के शीर्ष नेताओं के लिए रात्रिभोज का आयोजन करने जा रही हैं। इस भोज के जरिये जाहिर तौर पर तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ के चुनाव से पहले विपक्षी खेमे की भाजपा के खिलाफ मजबूत होती पेशबंदी का संदेश देने का प्रयास होगा।