मक्का मस्जिद विस्फोट: कोर्ट ने असीमानंद को किया बरी
हैदराबाद । मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में पांच आरोपियों को बरी करने वाली आतंकवाद विरोधी विशेष अदालत ने स्वामी असीमानंद के इकबालिया बयान को स्वीकार नहीं किया है। कोर्ट ने कहा है कि यह बयान उस समय रिकार्ड किया गया था, जब वह पुलिस हिरासत में थे और यह ‘स्वैच्छिक’ नहीं था। बाद में वह अपने बयान से मुकर भी गए थे। एनआइए अदालत ने यह भी कहा कि केवल आरएसएस से संबंधित होने के कारण किसी व्यक्ति को सांप्रदायिक या समाज विरोधी नहीं कहा जा सकता है। यह संगठन प्रतिबंधित नहीं है। अदालत ने अभियोजन पक्ष के उस दावे को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि असीमानंद ने दो साथी कैदियों के सामने अपना दोष स्वीकार किया था। अदालत ने कहा कि प्रारंभ में इस मामले की जांच करने वाली सीबीआइ ने ऐसा कोई दस्तावेजी साक्ष्य मुहैया नहीं कराया जिससे इस आरोप को बल मिल सके। विशेष अदालत के न्यायाधीश के. रवींद्र रेड्डी ने 16 अप्रैल के अपने आदेश में कहा है कि असीमानंद का इकबालिया बयान भारतीय साक्ष्य कानून की धारा 26 से प्रभावित था और स्वैच्छिक नहीं था। गौरतलब है कि 18 मई 2007 को रिमोट कंट्रोल के जरिये मक्का मस्जिद में भयानक विस्फोट किया गया था। इस घटना में नौ लोगों की मौत हो गई थी और 58 लोग घायल हुए थे।