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वनों और वानिकी के योगदान को बढ़ाने पर कार्यशाला आयोजित

देहरादून। भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (भा.वा.अ.शि.प) द्वारा संवहनीय विकास, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन और भूमि क्षरण का मुकाबला करने में वनों और वानिकी के योगदान को बढ़ाने के उद्द्ेश्य से इंटरनेशल यूनियन ऑफ फॉरेस्ट रिसर्च ऑगनाइजेशन (आई.यू.एफ.आर.ओ.) के साथ फरवरी, 2020 में एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया, ताकि उनकी पूरक क्षमताओं और सामर्थ्य का लाभ उठाने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ एक औपचारिक सहयोग स्थापित किया जा सके। भा.वा.अ.शि.प एवं आई.यू.एफ.आर.ओ. संयुक्त रूप से वन-संबंधित विज्ञान के साथ नीतियों और प्रथाओं को जमीनी स्तर पर जोड़कर इन वैश्विक एजेंडा में महत्वपूर्ण योगदान देने की स्थिति में हैं। वानिकी और प्राकृतिक-संसाधन से संबंधित क्षेत्रों में हितधारकों का क्षमता निर्माण समझौता ज्ञापन में शामिल मुख्य गतिविधियों में से एक है। इस पृष्ठभूमि और समझ के साथ दोनों संगठन (भा.वा.अ.शि.प-आई.यू.एफ.आर.ओ.) देश के विभिन्न राज्य वन विभागों की सक्रिय भागीदारी के साथ वन भू.दृश्य बहाली (पुनःस्थापन) पर एक चार दिवसीय (9जी .12जी नवम्बर, 2021) ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन कर रहे हैं। इस कार्यशाला के आयोजन से न केवल समझौता ज्ञापन के क्रियान्वयन की शुरूआत हो रही है बल्कि यह आयोजन संयुक्त राष्ट्र के पारिस्थितिक तंत्र बहाली के दशक (2021-2030) के प्रारंभ के साथ भी मेल खाता है।
वन भू.दृश्य बहाली एक उभरती हुई अवधारणा है जो सभी प्रभावित भूमि-उपयोग क्षेत्रों में हितधारकों को शामिल करने और सहभागितापूर्ण निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को लागू करने के दृष्टिकोण को संदर्भित करती है। यह पारिस्थितिक कार्यक्षमता को पुनः प्राप्त करने तथा निम्नीकृत और वनोन्मूलित वन भू.दृश्यों में जन कल्याण को बढ़ाने की एक सतत प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में भागीदारी, अनुकूलक प्रबंधन और प्रभावी प्रतिपुष्टि तीन प्रमुख घटक हैं। यह भूमि, जल और जीवित संसाधनों के एकीकृत प्रबंधन के लिए एक रणनीति है जो एक समान तरीके से वन पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और संवहनीय उपयोग को बढ़ावा देती है। कार्यशाला के दौरान पैनल चर्चा से वन भू.दृश्य बहाली गतिविधियों को लागू करने में अनुसंधान संगठनों के लिए भविष्य का रोड मैप उपलब्ध होने की उम्मीद है। ए.एस. रावत, महानिदेशक, भा.वा.अ.शि.प और डॉ. जॉन पैरोटा, अध्यक्ष, आई.यू.एफ.आर.ओ. कार्यशाला के उद्घाटन के दौरान उपस्थित रहेंगे और उद्घाटन सत्र में अपनी उद्घाटन टिप्पणी प्रदान करेंगे। इस कार्यशाला में सभी उपमहानिदेशक, निदेशक (अंतर्राष्ट्रीय सहयोग), विभिन्न राज्यों के वन विभागों के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख, भा.वा.अ.शि.प. के सभी सहायक महानिदेशक, भा.वा.अ.शि.प संस्थानों के सभी निदेशक, सचिव, भा.वा.अ.शि.प, वन अनुसंधान संस्थान विश्विद्यालय के डीन एवं कुलसचिव, निदेशक, केरल वन अनुसंधान संस्थान, निदेशक, आई.सी.ए.आर-सी.ए.एफ.आर.आई, झांसी,  आई.यू.एफ.आर.ओ. सदस्य संगठन, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, भा.वा.अ.शि.प संस्थानों के सभी वरिष्ठ वैज्ञानिक/अधिकारी एवं गैर-सरकारी संगठन मौजूद रहेंगे।

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